सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश मंडा कृष्ण मडिगा के लिए एक बड़ी जीत है, जो मडिगा (Manda Krishna Madiga) आरक्षण पोराटा समिति (एमआरपीएस) के प्रमुख हैं और दशकों से उप-कोटा के मुखर समर्थक रहे हैं। मंडा कृष्ण मडिगा ने कहा कि शीर्ष अदालत का यह आदेश एससी और एसटी के बीच हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए एक बड़ी जीत है। पिछले साल तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान सिकंदराबाद में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे तो मंडा कृष्ण मडिगा मंच पर भावुक हो गए। पीएम मोदी को मंच पर एमआरपीएस नेता से बात करते देखा गया, जहां मंडा कृष्ण मडिगा फूट-फूट कर रो पड़े। इसके बाद पीएम मोदी ने मडिगा का हाथ थामा और उन्हें सांत्वना दी।
मंडा कृष्ण मडिगा कौन हैं?
मंडा कृष्ण मडिगा का जन्म 1965 में येल्लैया में हुआ था। वे एक नेता और (Manda Krishna Madiga) कार्यकर्ता हैं जो हाशिए पर पड़े मडिगा समुदाय के अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। मडिगा समुदाय में ऐतिहासिक रूप से चमड़े के कामगार और हाथ से मैला ढोने वाले लोग बहुसंख्यक हैं। 1980 के दशक में वे जाति-विरोधी कार्यकर्ता थे और उन्होंने जुलाई 1994 में मडिगा आरक्षण पोराटा समिति की स्थापना की। उन्होंने अपने समुदाय से समर्थन प्राप्त करने के लिए अपने नाम में मडिगा उपनाम जोड़ा। उन्होंने हमेशा जातिगत भेदभाव, बच्चों के स्वास्थ्य और विकलांगता अधिकारों जैसे मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ी है।
एक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत: Manda Krishna Madiga
मंदा कृष्ण मडिगा ने 1980 के दशक की शुरुआत में वारंगल में जाति-विरोधी कार्यकर्ता के (Manda Krishna Madiga) रूप में अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने उच्च जाति के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की, जो निचली जातियों का शोषण कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक नक्सली समूह, पीपुल्स वार ग्रुप से समर्थन मिला। हालांकि, बाद में उन्होंने कानूनी तरीकों से हाशिए पर पड़े दलित समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए उग्रवाद को त्याग दिया। इसके बाद, मंडा कृष्ण दलित आंदोलन में शामिल हो गए। इसी अवधि के दौरान, दलितों के खिलाफ दो बड़े नरसंहार हुए, जिससे वे निराश हो गए।
एक दशक तक मोदी के संपर्क में रहे
आंतरिक आरक्षण यानी उप-कोटा लागू करने के उद्देश्य से आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के एडुमुडी गांव में एमआरपीएस की स्थापना की गई थी। 2013 से ही पीएम मोदी मंदा कृष्ण मदीगा से बातचीत कर रहे थे, जिनका संगठन एमआरपीएस अनुसूचित जाति वर्ग में आंतरिक आरक्षण की मांग कर रहा था। मंदा कृष्ण से मुलाकात के बाद भाजपा ने 2014 के अपने घोषणापत्र में आंतरिक आरक्षण का वादा किया था।
‘हमें जो चाहिए था वो मिला’: Manda Krishna Madiga
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के असर के बारे में मंदा कृष्ण मदीगा (Manda Krishna Madiga) ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, “मदिगा लोगों का दशकों पुराना आंदोलन खत्म हो गया है, क्योंकि हमें जो चाहिए था वो मिल गया है। 1994 में शुरू हुआ यह आंदोलन 30 साल के लंबे अंतराल के बाद अपने अंजाम तक पहुंचा है। हम इस फैसले से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव आए और कई बार इसे पटरी से उतारने की कोशिश की गई। इस प्रक्रिया में हमें काफी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन हमें सभी वर्गों के लोगों का समर्थन मिला। हम इससे खुश हैं।”
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कहा, इससे सौ पीढ़ियों को फायदा होगा
मंदा कृष्ण मदीगा ने कहा कि हमारा बलिदान व्यर्थ नहीं गया है। इस फैसले से मदीगा (Manda Krishna Madiga) और अन्य दलित जातियों की सौ पीढ़ियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा, “मैं इस जीत का श्रेय तीन तरह के लोगों को देता हूं। एक, जिन्होंने आरक्षण के लिए अपनी जान दी। दूसरे, एमआरपीएस कार्यकर्ता जो सभी बाधाओं को पार करके पार्टी के साथ खड़े रहे। मैं इस आंदोलन को दिए गए समर्थन के लिए विभिन्न जातियों के लोगों को भी धन्यवाद देता हूं।”
मंदा कृष्णा अच्छी तरह से जानते हैं कि एमआरपीएस के लिए कई लोगों ने अपनी जान दी है। उन्होंने कहा कि हम उनके परिवार के सदस्यों की मदद के लिए समितियां बनाएंगे। एमआरपीएस गवर्निंग बॉडी में इस मामले को चर्चा के लिए लाने के बाद, हम उन्हें वह सब कुछ देंगे जिसकी उन्हें जरूरत है।