PM Modi : कोलकाता रेप कांड की सीबीआई जांच के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश को उनके खिलाफ अपराधों के मामलों में तेजी से न्याय की आवश्यकता है।
इस अवसर पर देश के मुख्य न्यायाधीश डीवीआई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट के कई प्रमुख जज भी मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर कई सवाल उठाए थे।
कानूनों को प्रभावी बनाना ज़रूरी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा और समाज की चिंता बढ़ी है। हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बनाए गए हैं, लेकिन हमें उन्हें और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले होंगे, उतना ही अधिक सुरक्षा का भरोसा आधी आबादी को मिलेगा।” उन्होंने आगे कहा, “न्याय में देरी को समाप्त करने के लिए पिछले एक दशक में कई प्रयास किए गए हैं। पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास पर लगभग 8 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पिछले 25 वर्षों में न्यायिक बुनियादी ढांचे पर जो राशि खर्च की गई, उसका 75 प्रतिशत सिर्फ पिछले 10 वर्षों में ही खर्च हुआ है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “हमारे लोकतंत्र में न्यायपालिका संविधान की संरक्षक मानी जाती है, और यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारी सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाने का प्रयास किया है। आजादी के बाद न्यायपालिका ने न्याय की भावना की रक्षा की है और राष्ट्र की सुरक्षा के मुद्दों पर हमेशा भारत की एकता की रक्षा की है।”
यह भी पढ़ें : Lakhimpur पहले भेड़िया फिर सियार और अब बाघ… नहीं छोड़ रही आफत
‘यह भारत के संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है’
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष सिर्फ एक संस्था की यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है। इस यात्रा में हमारे संविधान निर्माताओं और न्यायपालिका के कई प्रमुख व्यक्तियों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इसमें उन करोड़ों देशवासियों का भी योगदान है जिन्होंने हर स्थिति में न्यायपालिका पर विश्वास बनाए रखा है। भारत के लोगों ने कभी सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ये 75 वर्ष भारत के लोकतंत्र की महानता को और बढ़ाते हैं। देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ भी मनाने जा रहा है, इसलिए यह अवसर गर्व और प्रेरणा का है।”