नई दिल्ली. 19 सितबंर के दिन भारत के नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया. ये बिल पूरे टाइम चर्चा का विषय बनी है. इसके अंतर्गत लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं में 33 फीसदी सीट महिला आरक्षण के अंतर्गत दिए जाने को लेकर है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस महिला आरक्षण में बिल में क्या कुछ खास है और कानून बनने के बाद इसका असर कब से और कितना दिखेगा.
पहले की सरकारों ने भी किया लाने का प्रयास
गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर नए संसद भवन के लोकसभा भवन में 128वां संविधान संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया है. इसका नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक रखा गया है और पीएम मोदी ने इसको नारी शक्ति विधेयक बोला. पहले की सरकारों द्वारा भी इस बिल को लाने की कोशिश की जा चुकी है.
समझिए लोकसभा में सीटों का आंकड़ा
इस समय लोकसभा में सांसदों की कुल संख्या 543 है और इस बिल के अंतर्गत 33 फीसदी यानी 181 सीट महिला सांसदों के लिए आरक्षित करने की बात कही गई है. वहीं अगर इस समय सदन में महिला सांसदों की संख्या 82 है. इस बिल का मुख्य मकसद जनप्रतिनिधि के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना है.
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2024 लोकसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा असर
बता दें कि महिला आरक्षण बिल का असर सिर्फ लोकसभा और राज्यों को विधानसभाओं पर दिखेगा. संसद के उच्च सदन राज्यसभा और जिन राज्यों में विधान परिषद है, वहां पर इसका असर नहीं होगा. अगर ये बिल कानून बन जाता है तो भी इसका असर 2024 लोकसभा चुनाव में नहीं दिखेगा. क्योंकि साल 2026 में देश में परिसीमन होगा और इसके बाद ये कानून भारत में प्रभावी रूप से दिखेगा.