Trump का सनसनीखेज दावा: पाकिस्तान कर रहा गुप्त परमाणु परीक्षण; US 33 साल बाद करेगा टेस्टिंग शुरू!

डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान द्वारा गुप्त परमाणु परीक्षण करने के दावे पर वैश्विक हलचल मच गई है। 31 अक्टूबर 2025 को '60 मिनट्स' इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि रूस, चीन और पाकिस्तान अंडरग्राउंड टेस्टिंग कर रहे हैं, जिससे अमेरिका को भी 33 साल बाद टेस्टिंग फिर से शुरू करनी चाहिए। यह दावा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु अप्रसार संधियों के लिए एक गंभीर चुनौती है।

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Trump Pakistan Nuclear Testing: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि पाकिस्तान गुप्त रूप से भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहा है। यह विस्फोटक खुलासा 31 अक्टूबर 2025 को फ्लोरिडा में सीबीएस न्यूज के शो ’60 मिनट्स’ को दिए गए एक इंटरव्यू में हुआ, जिसने वैश्विक कूटनीति में हड़कंप मचा दिया है।

ट्रंप ने इंटरव्यू में मॉडरेटर नोराह ओ’डॉनेल से बात करते हुए कहा कि अमेरिका को भी 33 साल के अंतराल के बाद परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू करना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि रूस, चीन और उत्तर कोरिया सहित अन्य देश भी चुपके से टेस्टिंग कर रहे हैं, जिससे अमेरिका पीछे रह रहा है।

पाकिस्तान पर मुख्य आरोप

ट्रंप ने विशेष रूप से पाकिस्तान का नाम लेते हुए दावा किया कि वह गुप्त रूप से न्यूक्लियर टेस्ट कर रहा है। उन्होंने कहा: “पाकिस्तान भी टेस्ट कर रहा है… वे गुप्त रूप से अंडरग्राउंड टेस्ट करते हैं, जहां लोग नहीं जान पाते। थोड़ी सी वाइब्रेशन महसूस होती है।”

यह दावा अत्यंत विवादास्पद है क्योंकि पाकिस्तान ने 1998 में अपने आखिरी आधिकारिक परीक्षण के बाद से औपचारिक रूप से कोई परमाणु विस्फोट नहीं किया है। ट्रंप के अनुसार, ये देश अपनी परमाणु क्षमताओं की जांच और सुधार के लिए गुप्त रूप से छोटे विस्फोट कर रहे हैं, जबकि दुनिया को लगता है कि ये सिर्फ भूकंप या अन्य सिस्मिक इवेंट हैं।

अमेरिकी टेस्टिंग शुरू करने का आदेश

Trump के दावे का मुख्य परिणाम यह है कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) को परमाणु हथियारों का परीक्षण “तुरंत” शुरू करने का निर्देश दिया है। अमेरिका ने आखिरी फुल-स्केल परमाणु परीक्षण 1992 में किया था, जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय समझौते (CTBT) के तहत एक अनौपचारिक रोक लगी हुई है।

ट्रंप का कहना है कि टेस्टिंग शुरू करना इसलिए जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिका के न्यूक्लियर हथियार, जिन्हें उन्होंने अपनी पहली अवधि में “नवीनीकृत” किया था, विश्वसनीय हैं और ठीक से काम करेंगे। उन्होंने कहा, “हम इकलौते देश नहीं रहना चाहते जो टेस्ट नहीं करता।”

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया और फैक्ट-चेक

ट्रंप के इस बयान ने हथियारों के नियंत्रण विशेषज्ञों और डेमोक्रेट्स को गहरी चिंता में डाल दिया है। विशेषज्ञों ने उनके दावे को “अपुष्ट” (Unsubstantiated) बताया है।

  • तथ्यात्मक असंगति: अंतर्राष्ट्रीय डेटा के अनुसार, चीन (1996) और रूस (1990) ने वास्तविक न्यूक्लियर वारहेड का विस्फोट नहीं किया है। रूस ने हाल ही में केवल मिसाइल डिलीवरी सिस्टम (गैर-परमाणु) का परीक्षण किया था।
  • तकनीकी तर्क: विशेषज्ञों का तर्क है कि अमेरिका के पास आज अत्याधुनिक सिमुलेशन और सुपर कंप्यूटर तकनीक है, जिससे वास्तविक विस्फोट के बिना ही हथियारों की विश्वसनीयता जांची जा सकती है।
  • परिणाम: इस कदम से वैश्विक तनाव बढ़ेगा और संभावित रूप से एक नई परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय अप्रसार संधियों का उल्लंघन होगा।

कुल मिलाकर, Trump का यह दावा न केवल अमेरिका की दशकों पुरानी न्यूक्लियर नीति में एक बड़ा बदलाव लाता है, बल्कि पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्तियों को लेकर वैश्विक निगरानी और पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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