Basti incident: 5000 रुपये की रिश्वत नहीं दी, पुलिस ने छीन लिया लाल, हिरासत में किशोर की मौत

5000 रुपये नहीं दिए तो पुलिस ने 17 वर्षीय आदर्श को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। मां का आरोप है कि पुलिसवालों ने रिश्वत मांगी, न मिलने पर थर्ड डिग्री दी। गुस्साए ग्रामीण दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

Basti

Basti incident: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में पुलिस हिरासत में एक किशोर की मौत ने पूरे इलाके को हिला दिया है। 17 वर्षीय आदर्श उपाध्याय की मां का आरोप है कि पुलिस ने 5000 रुपये की रिश्वत मांगी, और जब वह पैसे नहीं दे सकी, तो पुलिसवालों ने उसके बेटे को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। आदर्श का दोष बस इतना था कि उसने गांव के एक सेठ से तंबाकू मांग ली थी, जिससे नाराज होकर सेठ ने पुलिस बुला ली। इसके बाद Basti पुलिस उसे थाने ले गई और रातभर उसे बेरहमी से पीटा। सुबह उसकी हालत और बिगड़ गई, लेकिन Basti पुलिस ने उसे घर भेज दिया। परिजन आनन-फानन में उसे अस्पताल लेकर गए, लेकिन रास्ते में ही आदर्श की मौत हो गई। इस घटना से गांव में भारी आक्रोश है, और ग्रामीण दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

रातभर पुलिस की बर्बरता, सुबह फिर पीटा

Basti जिले के दुबौलिया थाने के उभाई गांव में रहने वाला आदर्श उपाध्याय एक साधारण किशोर था, जो अपने परिवार की मदद करता था। सोमवार को पुलिस उसे पकड़कर थाने ले गई, जहां रातभर उसकी पिटाई हुई। मां के मुताबिक, पुलिसवालों ने आदर्श को थर्ड डिग्री दी, लेकिन उनका गुस्सा यहीं खत्म नहीं हुआ। मंगलवार सुबह उसे फिर पीटा गया। जब उसकी हालत बिगड़ने लगी, तो पुलिसवालों ने उसे उसके घर छोड़ दिया।

पैसे न मिलने पर जानवरों की तरह मारा

मां का आरोप है कि पुलिसवालों ने प्रधान को फोन कर बुलाया और 5000 रुपये की मांग की। जब वह थाने पहुंची तो पुलिस ने उसे कहा कि पैसे देकर अपने बेटे को ले जाओ, नहीं तो कुछ नहीं कहा जा सकता। परिवार गरीब था, वे रकम नहीं जुटा सके। पुलिसवालों ने आदर्श को इतनी बेरहमी से मारा कि उसके मुंह से खून आने लगा। जब उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी, तो मां खुद उसे अस्पताल ले गई, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।

गांव में गुस्सा, दोषियों पर कार्रवाई की मांग

आदर्श की मौत से पूरा गांव आक्रोश में आ गया। ग्रामीणों ने शव के साथ प्रदर्शन किया और दोषी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने व उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की। अधिकारियों ने परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर वे पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए। इस अमानवीय घटना ने एक मां से उसका बेटा छीन लिया और पुलिस की क्रूरता को उजागर कर दिया।

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