लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। अब मऊ में तैनात अधिकारियों के ट्रांसफर नहीं होंगे। अगर वह चाहेंगे भी तो हम ऐसा नहीं होंने देंगे। हर एक का हिसाब किताब होगा। ये शब्द आज से करीब तीन साल पहले मऊ सीट से विधायक चुने गए अब्बास अंसारी ने कहे थे, जिनकी गूंज अब फिर से यूपी में सुनाई देने लगी है। एकबार फिर से अंसारी परिवार सुर्खियों में छाया हुआ है। राजनीतिक दल के नेता भी एकाएक एक्टिव हो गए हैं और सियासी पिच पर उतरकर ताबड़तोड़ बैटिंग करने लगे हैं। मुख्तार अंसारी के छोटे नवाब उमर अंसारी की कार का काफिला मऊ के गांव में दिखने लगा है। जबकि बड़े बेटे अब्बास भी डटे हुए हैं और अपनी विधायकी बचाने को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उपचुनाव की आहट की भनक यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर को भी हुई तो वह भी मैदान पर उतर आए और बयानों की ऐसी बरसात की, जिससे लखनऊ से लेकर दिल्ली पानी-पानी हो गया। ओमप्रकाश यहीं तक नहीं रूके। उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक रहे हैं। फिलहाल अब्बास कोर्ट गए हुए हैं। अगर मऊ में उपचुनाव होते हैं तो उनकी ही पार्टी को एनडीए की तरफ से टिकट दिया जाएगा। ओमप्रकाश राजभर ने एक और बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी अब अंसारी परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट नहीं देगी। हमारे पास जिताऊ कैंडीडेट है और सभी लोग हमारे साथ हैं। हमारी बात बीजेपी के बड़े नेताओं से हो गई है।
दरअसल, यूपी में एक बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। हेट स्पीच मामले में सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की विधायकी चली गई। जिसके कारण मऊ विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया। जल्द यहां उपचुनाव होगा। इसे लेकर अब योगी कैबिनेट में मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का बड़ा बयान सामने आया है। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मऊ सीट से सुभासपा के कैंडीडेट अब्बास अंसारी विधायक चुने गए थे। ओप्रकाश राजभर ने कहा, जो सीट खाली हुई है वो सुभासपा की सीट है। इसलिए नियमों के हिसाब से इस सीट पर सुभासपा ही चुनाव लड़ेगी। हम एनडीए के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत करके वहां चुनाव लड़ेंगे। हम अंसारी परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं देंगे। हम बीजेपी से बात करेंगे और जिताऊ उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे।
अब्बास अंसारी माफिया से नेता बने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं। मऊ सीट का प्रतिनिधित्व अब्बास से पहले मुख्तार ने ही किया। मुख्तार अंसारी ने 1996 में मऊ सीट से पहली बार जीत हासिल की थी। इसके बाद पार्टियां बदलीं, लेकिन विधायक नहीं। मुख्तार ने इस सीट पर निर्दलीय चुनाव जीतकर भी अपनी ताकत दिखाई। मुख्तार अंसारी ने 2017 के यूपी चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर आखिरी बार मऊ सीट से चुनाव लड़ा और जीता था। 2022 में एक केस में सजा सुनाए जाने के बाद मुख्तार ने अपनी सीट से बेटे अब्बास अंसारी को उतार दिया। यूपी चुनाव 2022 में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी, अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में थी।
सपा-सुभासपा गठबंधन में मऊ सीट सुभासपा के कोटे में गई और राजभर की पार्टी ने इस सीट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को उतारा। अब्बास ने परिवार की सीट पर कब्जा बरकरार रखा। अब अब्बास के विधानसभा सदस्यता गंवाने के बाद चर्चा इस सीट पर परिवार के दबदबे को लेकर होने लगी है। मुख्तार की मौत के बाद उपचुनाव अंसारी परिवार के लिए बड़ा टेस्ट होगा। अंसारी परिवार के लिए 29 साल की साख दांव पर होगी। अंसारी परिवार का कोई सदस्य या परिवार समर्थित उम्मीदवार अगर मऊ सीट के उपचुनाव में हारता है, तो इसे इस सीट पर अंसारी परिवार के सियासी दबदबे के द एंड की तरह देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि बकरीद पर अंसारी परिवार की बैठक बड़ा फाटक में हुई थी। सभी ने उमर अंसारी के नाम पर मुहर लगाई है।
उमर अंसारी मऊ विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब्बास के जेल जाने के बाद उमर ने जनता के बीच मौजूदगी बनाए रखी है। उमर के साथ ही एक विकल्प गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत के नाम पर भी चर्चा हुई। सियासत से दूर रहने वाली नुसरत पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अपने पिता के प्रचार में एक्टिव नजर आई थीं। नुसरत ने महिलाओं की टोली लेकर घर-घर जनसंपर्क किया, सपा कार्यालय में बैठकें कर चुनावी रणनीति भी बनाई थी। लेकिन अंसारी परिवार ने नुसरत की जगह उमर को चुनाव में उतारे जानें का मन बनाया है। सूत्र बताते हैं कि इसकी जानकारी अखिलेश यादव तक पहुंचा दी गई है। फिलहाल अंसारी परिवार की नजर कोर्ट पर टिकी है। अब्बास ने सजा के खिलाफ याचिका दायर की है। अगर सजा पर रोक लगती है तो उपचुनाव नहीं होंगे।
फेफना से सपा विधायक और बलिया जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव ने दावा किया है कि मऊ में उपचुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी के टिकट पर अंसारी परिवार का ही सदस्य विधायक बनेगा। उन्होंने कहा कि यह सीट सपा की झोली में ही जाएगी। समाजवादी पार्टी विधायक संग्राम सिंह यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने दुर्भावना से ग्रस्त होकर अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि रविवार की रात को जल्दबाजी में विधानसभा सचिवालय खोलकर अधिसूचना जारी करवाई गई। सपा विधायक ने कहा कि अंसारी परिवार जिस सदस्य के नाम पर मुहर लगाएगा वही सपा का कैंडीडेट होगा। अगर उमर अंसारी चुनाव में उतरते हैं तो उनका सौ फीसदी विधायक चुना जाना तय हैं।