सरकारी अस्पताल में तैनात एमबीबीएस डॉक्टर ने पीजी में दाखिला लिया।पीजी पूरी करने के बाद डॉक्टर को कम से कम 10 से 15 साल तक सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी होगी। दरअसल, राज्य के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में कार्यरत एमबीबीएस चिकित्सकों को नीट पीजी मॉपअप राउंड काउंसलिंग में भारांक दिया जाएगा। जिसके लिए उन्हें एक बॉन्ड भी भरना होगा। जिसमें पीजी के बाद तय समय सीमा तक सरकारी अस्पतालों में सेवा देने की बात कही गई है। सरकार ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी की।
सरकार ने एमबीबीएस चिकित्सकों के लिए नई गाइडलाइन की जारी
सरकार द्वारा प्रदेश में एमबीबीएस चिकित्सकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। नई गाइडलाइन के मुताबिक, अगर डॉक्टर सरकारी चिकित्सालयों में सेवा नहीं देना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें दो करोड़ की धनराशि प्रदेश सरकार को देनी होगी। इससे पहले यह धनराशि एक करोड़ तय की गयी थी जिसे सरकार ने बदल दिया। आपको बता दें, मॉपअप राउंड में शामिल होने से पहले डॉक्टर्स से उनके सरकारी अस्पताल में कार्यरत होने के संबंध में जानकारी मांगी गई है।
10 से 15 साल तक सरकारी अस्पतालों में देनी होगी सेवा
एमबीबीएस चिकित्सकों के लिए जारी गाइडलाइन में, नीट पीजी मॉपअप राउंड में शामिल होने वाले एमबीबीएस डॉक्टरों को पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स कंप्लीट होने के बाद पहले की अस्पताल मे जहां वह कार्यरत थे वहीं कार्यभार ग्रहण करना होगा। गाइडलाइन में बताया गया है कि अध्ययन की अवधि को सेवा अवधि माना जाएगा और विभाग द्वारा बॉन्ड भराया जाएगा। जिसके अनुसार, कोर्स कंप्लीट होने के बाद 10 साल से 15 तक की सेवा सरकारी अस्पतालों में देनी होगी। सरकार ने इससे पहले इस की समय सीमा 2 से 10 साल तक रखी थी। जिस भी चिकित्सकों द्वारा कोर्स पूरा करने के बाद सरकारी अस्पतालों में सेवा नहीं देने पर उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।