चित्रकूट ऑनलाइन डेस्क। भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट अनादि काल से वाल्मीकि समेत तमाम महान ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ पावन चित्रकूटगिरी पर अपने वनवास का साढे़ 11 वर्ष व्यतीत किया था। मंदाकिनी नदी के किनारे बने अनेक घाट और मंदिरों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन्हीं में से एक तीर्थ है गुप्त गोदावरी। यहां खटखटा चोर दर्शनार्थियों के कौतूहल और आकर्षण का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि ये खटखटा चोर पाप खाकर पेट भरता है और इसके दर्शन करने वाले के घर कभी भी चोरी नहीं होती।
इसी धाम पर गुप्त गोदावरी
चित्रकूट दो शब्दों चित्र और कूट से मिलकर बना है। इसका अर्थ है शिखर या चोटी। चित्रकूट नगरी का सनातन धर्म में एक विशेष स्थान है। यह सभी राम भक्तों के दिल के करीब है, क्योंकि राम जी ने वनवास काल के कुछ वर्ष यहां भी बिताएं थे। इसे संतो की नगरी भी कहा जाता है। इसके अलावा यह चार धाम की तीर्थ यात्रा का अहम पड़ाव माना जाता है। कहते हैं कि इस चमत्कारी स्थान पर यात्रा किए बिना कोई भी तीर्थ यात्रा कभी पूरी नहीं होती है। इसी धाम पर गुप्त गोदावरी है। देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु गुफा के अंदर पत्थर के रूप में लटके एक चोर की पूजा-अर्चना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं।
मां सीमा ने दिया था श्राप
मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के 11 वर्ष यहीं बिताए थे। गायत्री शक्ति पीठ आश्रम चित्रकूट के प्रमुख डॉक्टर राम नारायण त्रिपाठी ने इसके बारे में एक अखबार को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया कि, माता सीता एक दिन गुप्त गोदावरी गुफा में स्नान कर रहीं थी। इसी दौरान मयंक नाम के राक्षस ने उनके वस्त्र चोरी कर लिए। इस पर सीता जी ने अपने सिर के बाल उखाड़ कर उसे श्राप दिया। इससे मयंक राक्षस पत्थर का बन गया। जब उसने अनुनय-विनय की कि इस तरह तो वह भूखा मर जाएगा। तब माता सीता ने उससे गुफा में आने वालों के पाप खाकर भूख मिटाने और युगो-युगों तक उसका नाम बने रहने का वरदान दिया।
निकलती है आवाज
सतना जिले के अंतर्गत चित्रकूट में गुप्त गोदावरी पर स्थित गुफा के अंदर पत्थर के रूप में लटके इस चोर को हिलाने से खटखट की आवाज होती है। इसलिए इसे खटखटा चोर कहा जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि वह गुफा की सुरक्षा भी करता है। इसलिए छूने पर आवाज निकलती है। अब गुफा के अंदर इस स्थान पर एक मंदिर बना दिया गया है। लोग इस पर फल-फूल रुपये भी चढ़ाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि खटखटा चोर के दर पर जो भी भक्त आता है और पूजा-अर्चना करता है। उसके घर पर कभी चोरी की वारदात नहीं होती। लोगों का दावा है कि खटखटा चोर अपने भक्तों के घरों की सुरक्षा करता है।
ऐसे होते हैं खटखटा चोर के दर्शन
चित्रकूट में कामदगिरि परिक्रमा, स्फटिक शिला, सती अनुसुइया आश्रम के बाद गुप्त गोदावरी दर्शन की महत्ता मानी जाती है। गुप्त गोदावरी में सीढिय़ों से चढ़कर जब प्रथम गुफा के अंदर पहुंचते हैं तो खटखटा चोर के दर्शन मिलते हैं। इससे आगे दूसरी गुफा में अलग-अलग कुंड दिखाई देते हैं। प्रतिमाह अमवस्या पर दो लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दीपावली या अन्य विशेष पर्व पर आते हैं। 25 हजार श्रद्धालु तीर्थ स्थलों के दर्शन करने प्रतिदिन आते हैं। बता दें, गुप्त गोदावरी राम घाट से करीब 18 किलोमीटर दूर है। ऐसा कहा जाता है कि जब भक्त दर्शन करने के लिए गुफा से गुजरते हैं, तो उनके घुटनों तक पानी भरा होता है।