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भतीजे पर फिर आया ‘बुआ’ को प्यार, परिवारवाद का ये ‘मायावीजाल’

राजनीतिक गलियारों में फिर से बुआ और भतीजा चर्चा-ए-आम हो चले है। कहने वाले तो ये भी कह रहे है कि परिवारवाद के मुखालफत करने वाली बसपा सुप्रीमों मायावती खुद ही परिवारवाद का ‘मायावीजाल’ बुन रही है।

by Akhand Pratap Singh
April 14, 2025
in Latest News, उत्तर प्रदेश
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Akash Anand
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(मोहसिन खान) नोएडा डेस्क। राजनीतिक गलियारों में फिर से बुआ और भतीजा चर्चा-ए-आम हो चले है। कहने वाले तो ये भी कह रहे है कि परिवारवाद के मुखालफत करने वाली बसपा सुप्रीमों मायावती खुद ही परिवारवाद का ‘मायावीजाल’ बुन रही है। क्योंकि उनकी कभी तो भतीजे आकाश आनंद (Akash Anand) ऐसी तकरार होती है कि पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देती है और कभी ऐसा प्यार आता है कि वो आकाश को दोबारा मौका देती है। चलिए जैसे भी हो आकाश आनंद का 40 दिन का वनवास खत्म हो गया और 41वें दिन आकाश की पार्टी में फिर से एंट्री हो गई। रविवार को बसपा प्रमुख मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को माफ कर दिया और एक बार से मौका दिया लेकिन मायावती ने आकाश को पार्टी में फिलहाल कोई पद नहीं दिया है।

बसपा में ये क्या चल रहा है कभी प्यार.. कभी तकरार

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आपको बताते है कि आखिरकार आकाश की वापसी कैसे हुई। सियासी गलियारों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि आकाश की बसपा में वापसी की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी। इतना नहीं मायावती और आकाश में पहले से ही सबकुछ तय हो चुका था। दरअसल पार्टी से निकाले जाने के बाद से ही आकाश एक्स पर लगातार मायावती की हर पोस्ट को री-पोस्ट करके उनका समर्थन कर रहे थे। सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को लेकर बसपा के लोगो से संपर्क साध रहे थे।

आकाश (Akash Anand) ने सार्वजनिक तौर पर बसपा सुप्रीमों और अपनी बुआ मायावती से माफी मांगी। उन्होंने माफीनामा को एक्स पर पोस्ट किया और बसपाईयों ने उसको वायरल कर दिया। उधर मायावती ने भी एक्स पर पोस्ट किया और लिखा कि वो भतीजे को माफ करके एक ओर मौका दे रही है लेकिन उनके ससुर की गतिविधियां माफी योग्य नहीं है लिहाज़ा आकाश के ससुर अशोक सिद्वार्थ को ना तो माफी मिलेगी और ना ही पार्टी में एंट्री।

40 दिन के भीतर अपने फैसले पर बैकफुट हुई मायावती ने फिर से राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया। सवाल यही कि क्या सबकुछ जानबूझकर किया गया क्योंकि इन दिनों को दलित वोट बैंक को रिझाने में राजनीतिक दल कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे है। आकाश की घर वापसी पर कई बड़ी वजह भी निकलकर सामने आ रही है। मसलन आकाश (Akash Anand) के जरिए मायावती दलित युवाओं को आकर्षित करना चाहती हैं, अभी चंद्रशेखर से चुनौती मिल रही है।

यह भी पढ़े: कासगंज में अंबेडकर जयंती के प्लेक्स को लेकर बवाल, दलित-क्षत्रिय पक्षों में पथराव और मारपीट

सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन की वजह से सपा पश्चिम में दलितों को गोलबंद करने में जुटी हुई है। कांग्रेस ने अहमदाबाद अधिवेशन में जिस तरह से दलित-आदिवासी व पिछड़ों को लेकर संकल्प पारित किया है। इससे भी मायावती असहज महसूस कर रही थीं। इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया था। निष्कासन के बाद से ही आकाश और उनके ससुर ने ऐसा कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया, जिससे मायावती को असहज होना पड़े।

बताते चलें कि बसपा सुप्रीमो ने 2 मार्च को आकाश को पार्टी के सभी पदों से हटाया था और कहा था कि वे उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं। उन्होंने कहा था, ’मेरे जीते-जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी।’ अतीत में जाएं तो मायावती ने 15 महीनों में आकाश को दो बार अपना उत्तराधिकारी बनाया और दोनों बार हटा दिया।

15 महीनों में राजनीति के उतार-चढ़ाव से गुजरें आकाश आनंद (Akash Anand) सबसे पहले 2017 में सहारनपुर में आयोजित एक जनसभा में मायावती के साथ नज़र आए थे और इसके बाद से वो लगातार पार्टी के लिए काम कर रहे थे। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था। बहरहाल सवाल इस बात का है कि आकाश को पार्टी से निकालने के बाद रिश्ते-नातों को संगठन के बाद में रखने वाली मायावती को आखिरकार क्यों फिर से रिश्ते-नाते याद आ गए और भतीजे के प्यार ने उनके दिल को पसीज दिया।

Tags: Akash AnandMayawati
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