Akash Anand on Mayawati: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिला जब पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक समेत सभी पदों से हटा दिया। इस फैसले के 24 घंटे के भीतर ही आकाश आनंद की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने न केवल मायावती के फैसले का सम्मान किया बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर भी बड़ा संदेश दिया।
मायावती जी का फैसला पत्थर की लकीर
अपने बयान में आकाश आनंद (Akash Anand on Mayawati) ने स्पष्ट किया कि वह बहनजी के निर्णय के साथ खड़े हैं और उनकी अगुवाई में ही पार्टी के प्रति त्याग और निष्ठा का पाठ सीखा है। उन्होंने कहा कि मायावती जी का फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर है। मैं इसे पूरी तरह से स्वीकार करता हूं। यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भावनात्मक क्षण है लेकिन साथ ही यह एक बड़ी चुनौती और कठिन परीक्षा भी है। हालांकि उन्होंने अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ और पत्नी को लेकर लगाए गए आरोपों पर चुप्पी साधे रखी।
मैं परमपूज्य आदरणीय बहन कु. मायावती जी का कैडर हूं, और उनके नेतृत्व में मैने त्याग, निष्ठा और समर्पण के कभी ना भूलने वाले सबक सीखे हैं, ये सब मेरे लिए केवल एक विचार नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य हैं। आदरणीय बहन जी का हर फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर के समान है, मैं उनके हर फैसले का…
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) March 3, 2025
यह मेरे लिए सम्मान की लड़ाई
आकाश आनंद (Akash Anand on Mayawati) ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर भी स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी दल सोच रहे हैं कि बसपा के इस फैसले से उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया है तो यह उनकी गलतफहमी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बहुजन आंदोलन कोई करियर नहीं है.. यह करोड़ों दलितों, शोषितों और वंचितों के सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई है। इस विचार और आंदोलन को कोई दबा नहीं सकता। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह बहुजन मिशन के लिए कार्य करते रहेंगे और आखिरी सांस तक समाज के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
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बसपा में लगातार हो रहे बदलाव
गौरतलब है कि मायावती ने रविवार को लखनऊ में बसपा की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी जिसमें उन्होंने आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया। इससे पहले उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी पार्टी से बाहर कर दिया गया था। आकाश आनंद का राजनीतिक सफर बीते पांच वर्षों में कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है।
एक समय मायावती ने खुद मंच से उनके सिर पर हाथ रखकर उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया था लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में उनके आक्रामक तेवरों के चलते उन्हें प्रचार से दूर कर दिया गया था। अब जब बसपा में नए समीकरण बन रहे हैं तो यह देखना दिलचस्प होगा कि आकाश आनंद का अगला कदम क्या होगा और बसपा की राजनीति में आगे क्या बदलाव आते हैं।