1 फोन पर अखिलेश का करीबी इंस्पेक्टर गिरफ्तार, 5 SHO और 13 दरोगा समेत 45 पुलिसकर्मी भी किए गए सस्पेंड

कानपुर पुलिस कमिश्नरी ने बड़ा एक्शन लिया है। 5 एसएचओ, 13 दरोगा समेत 45 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है।

कनपुर ऑनलाइन डेस्क। सिविल लाइंस में वक्फ की तीन बीघा बेशकीमती जमीन कब्जाने के मामले में अखिलेश दुबे के सहयोगी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को ग्वालटोली थाना पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। भाजीत ने अखिलेश दुबे के खिलाफ पैरवी करने से रोकने के लिए ट्रक से कुचलवाने का प्रयास किया था और अखिलेश दुबे को पांच लाख रुपये भेजने के लिए धमकाया था। पुलिस ने केस दर्ज कर इंस्पेक्टर को पूछताछ के लिए थाने बुलाया और दबोच लिया। आरोपी इंस्पेक्टर को जेल भेज दिया गया है। इंस्पेक्टर के अलावा कानपुर पुलिस कमिश्नरी ने बड़ा एक्शन लिया है। 5 एसएचओ, 13 दरोगा समेत 45 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है। सभी पर अखिलेश एंड कंपनी से दोस्ती का आरोप है।

सिविल लाइंस में नवाब मंसूर अली की करीब तीन बीघा जमीन थी। जिसे उन्होंने वर्ष 1892 में शेख फखरुद्दीन हैदर को बेची थी। फखरुद्दीन के कोई औलाद न होने पर उन्होंने जमीन वक्फ को दे दी। साथ ही शर्त के अनुसार एग्रीमेंट भी हुआ कि जमीन की देखरेख (मुतवल्ली) करने वाला उनका ही वंशज होगा। उसके बाद शेख फखरुद्दीन हैदर के चचेरे भाई हाफिज हलीम को 1911 में 99 वर्ष का पट्टा कर दिया, लेकिन उसके बाद उस जमीन पर छह-सात किरायेदार बसा दिए गए। पट्टे की अवधि वर्ष 2000 में खत्म हो गई। इसके बाद फखरुद्दीन की पांचवी पीड़ी के वंशज परेड नवाब इब्राहिम निवासी मोइनुद्दीन आसिफ जाह किरायेदारों निकालना चाहते थे, जिसको लेकर मामला कोर्ट में भी पहुंचा।

इसी के बाद से अखिलेश गैंग सक्रिय हो गया। इसबीच कुछ को अखिलेश दुबे ने साथी किदवई नगर निवासी राजकुमार शुक्ला समेत लोगों के साथ मिलकर कई किरायेदारों को डरा धमका तो कई को रुपये का लालच देकर अपने नाम पावर आफ अटार्नी कर ली। वहीं, एक किरायेदार मुन्नी देवी की 2015 में मृत्यु हो गई। उसके बाद मृत महिला की जगह उनके ही नाम से दूसरी महिला को खड़ा कर 2016 में पावर आफ अटार्नी करवा ली गई। ऐसे ही कूटरचित दस्तावेजों के लिए वक्फ की करीब तीन बीघा जमीन कब्जाने के आरोपित अखिलेश दुबे, उनकी बेटी सौम्या दुबे, भाई सर्वेश दुबे, जयप्रकाश दुबे, शिवांग सिंह उर्फ पप्पू्, राजकुमार शुक्ला थे। उस जमीन पर अखिलेश दुबे ने आगमन गेस्ट हाउस, कर्यालय बनवाया और कुछ जगह किराये पर दे दी।

मामले में शेख फखरुद्दीन की पांचवी पीड़ी के 80 वर्षीय मोइनुद्दीन मोइनुद्दीन आसिफ जाह ने वक्फ बोर्ड में इसकी शिकायत की। उन्होंने बताया कि वह अप्रैल 2024 को अखिलेश दुबे के साथी शिवांश सिंह इंस्पेक्टर सभाजीत के साथ उनके पास आया और पैरवी बंद करने की धमकी दी। कहा कि पैरवी बंद नहीं की तो फर्जी मुकदमे में फंसा देंगे। अखिलेश दुबे को फौरन पांच लाख रुपये भेजो। इसके बाद जब कोर्ट की शरण ली तो आरोपित और धमकाने लगा। मुकदमे की कार्रवाई के लिए वह लखनऊ जा रहे थे। उसी समय आरोपितों ने ट्रक से कुचलवाने का भी प्रयास किया। इसके बाद से वह काफी डर गए और घर से निकलना बंद कर दिया, लेकिन वकील के जरिए वह जमीन के लिए लड़ते रहे। उसके बाद पुलिस आयुक्त से गुहार लगाई।

जांच एसआइटी ने की तो फर्जीवाड़ा सामने आया और पीड़ित की तहरीर पर 13 अगस्त को अखिलेश दुबे, उसकी भतीजी सौम्या दुबे, भाई सर्वेश दुबे, जयप्रकाश दुबे, शिवांश सिंह उर्फ पप्पू, राजकुमार शुक्ला और इंस्पेक्टर सभाजीत के खिलाफ ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसके बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। शुक्रवार को इंस्पेक्टर को ग्वालटोली थाने पूछताछ के लिए बुलाया गया। इंस्पेक्टर थाने पहुंचा। थाने में पहले से अधिकारी मौजूद थे। पूछताछ के बाद इंस्पेक्टर को अरेस्ट कर लिया गया। गिरफ्तारी के दौरान इंस्पेक्टर फूट-फूट कर रोने लगा। इंस्पेक्टर ने कहा कि मैं निर्दोष हूं। पूरे खेल में आईएएस-आईपीएस शामिल हैं। अफसरों से अखिलेश दुबे की दोस्ती थी। अखिलेश हरकाम अफसरों के जरिए करवाता था। हम तो अफसरों के आदेशों को पालन करते थे। अगर हिम्मत है तो अखिलेश के करीबी अफसरों को पुलिस पकड़कर दिखाए।

इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के साथ ही अधिवक्ता अखिलेश दुबे, धीरज उर्फ दीनू उपाध्याय से दोस्ती और अनुशासनहीनता में 45 पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई सात दिन के अंदर डीसीपी और एसीपी हेडक्वार्टर की जांच के बाद की गई है। इनमें 5 इंस्पेक्टर, 13 दरोगा, 17 हेड कांस्टेबल, 6 महिला हेड कांस्टेबल, 4 फॉलोअर को शामिल हैं। इन्हीं में से दीनू और अखिलेश दुबे से संबंध रखने के आरोपी 16 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। अभी करीब 80 के आसपास पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच चल रही है। इनमें कुछ पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो लंबे समय से गैर हाजिर चल रहे हैं। कमिश्नरी पुलिस की क्राइम ब्रांच, एसआईटी और एलआईयू ने अखिलेश दुबे और दीनू उपाध्याय से दोस्ती रखने, उनका सहयोग करने और जमीन संबंधी मामलों में संलिप्त होने वालों की जांच कराई।

जांच में 16 पुलिसकर्मियों पर अखिलेश दुबे और दीनू उपाध्याय के लिए काम करने का नाम आया, जिस पर उनको निलंबित किया गया है। कुछ पर लंबे समय से गैर हाजिर रहने पर कार्रवाई हुई है। कमिश्नरी पुलिस के कई इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल के खिलाफ अनुशासनहीनता के मामले में भी कार्रवाई हुई है। उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं किया है, जबकि कुछ पर रुपये लेकर आरोपियों पर हल्की धाराएं लगाने का आरोप है। कुछ के खिलाफ वादी को टरकाने व अच्छा बर्ताव न करने की शिकायत मिली थी। इन मामलों की जांच एसीपी हेडक्वार्टर और डीसीपी हेडक्वार्टर के करने के बाद यह कार्रवाई हुई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कमिश्नरी के 30 से अधिक पुलिसकर्मी ड्यूटी से गैरहाजिर चल रहे हैं। यह छुट्टी लेकर गए थे लेकिन लंबे समय से आए नहीं हैं।

कमिश्नरी के 50 से अधिक पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभिन्न मामलों में जांच जारी है। वहीं अखिलेश दुबे और दीनू से दोस्ती में कुछ पुलिसकर्मियों पर बड़ी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। अफसरों के मुताबिक उनके खिलाफ सबूत एसआईटी को भी मिले हैं जबकि एलआईयू ने भी रिपोर्ट दी है। पुलिस विभाग में क्षुद्र दंड में 14 दिन तक कोई भी सजा मिलने का प्रावधान है जबकि दीर्घ दंड में बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि यह जांच मुखबिर, कॉल डिटेल, मोबाइल लोकेशन और गवाहों के बयानों के आधार पर हुई। अफसरों के मुताबिक कुछ कर्मचारियों की आय से अधिक संपत्ति मिली है जिसकी रिपोर्ट संबंधित विभागों को भेजी जा रही है। आने वाले दिनों में केडीए-नगर निगम के अधिकारियों पर भी एक्शन हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस की रडार में कई लेखपाल और कानूनगो भी हैं, जिनकी दोस्ती अखिलेश दुबे से थी।

 

 

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