Akhilesh Yadav Meet Aniruddhacharya: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और कथावाचक अनिरुद्धाचार्य की एक मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में Akhilesh Yadav कथावाचक से तीखे लहजे में कहते नजर आ रहे हैं, “आइंदा कभी किसी को शूद्र मत कहना।” यह वीडियो लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे का बताया जा रहा है, हालांकि इसकी तिथि और सत्यता की पुष्टि नहीं हो पाई है। वीडियो में अखिलेश यादव श्रीकृष्ण जन्म से जुड़ा सवाल पूछते हैं, लेकिन उत्तर से असंतुष्ट होने पर नाराज़गी जताते हैं। इस दौरान वे साफ शब्दों में सामाजिक समरसता की बात करते हैं और कथावाचक से मतभेद जाहिर करते हुए कहते हैं कि अब हमारे रास्ते अलग हैं।
अखिलेश यादव का सवाल:
"आधी रात जब मां के हाथ में कृष्ण को दिया गया, तब मां ने पहला नाम क्या बोला?"अनिरुद्धाचार्य का जवाब:
"भगवान बोला… कन्हैया कहकर बुलाया!"अखिलेश यादव:
"इसीलिए अब कभी शूद्र मत कहना!"👉 एक पंक्ति में पूरी व्यवस्था पर चोट!#AkhileshYadav #ShudraDebate… pic.twitter.com/44QUj1YqJL
— Poonam Yadav (@PoonamYadav9999) July 13, 2025
एक्सप्रेसवे पर अचानक हुई मुलाकात
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर कथित रूप से हुई इस अचानक मुलाकात के दौरान Akhilesh Yadav और अनिरुद्धाचार्य एक-दूसरे से आमने-सामने आते हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि अखिलेश यादव कथावाचक से श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ा सवाल करते हैं। कथावाचक उत्तर देते हैं, लेकिन यादव उनके जवाब से असहमत दिखते हैं। इसके बाद बात सामाजिक टिप्पणियों पर पहुंचती है, जहां अखिलेश का गुस्सा साफ झलकता है।
“अब रास्ता अलग है” — अखिलेश का दो टूक जवाब
Akhilesh Yadav बातचीत के दौरान कथावाचक को शुभकामनाएं भी देते हैं लेकिन साथ ही तल्ख अंदाज में कहते हैं, “बस यहीं से हमारा और आपका रास्ता अलग हो गया।” यह बयान न सिर्फ तीखा था बल्कि यह भी स्पष्ट कर गया कि समाजवादी पार्टी प्रमुख धार्मिक प्रवचनों में सामाजिक भेदभाव को स्वीकार नहीं करते।
शब्दों की मर्यादा पर उठे सवाल
वीडियो में सबसे अहम बात अखिलेश यादव की वह टिप्पणी रही जिसमें उन्होंने कहा, “आइंदा किसी को शूद्र मत कहना।” यह कथन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। लोग इस बयान को सामाजिक समरसता और सम्मान की वकालत के रूप में देख रहे हैं। वहीं, कई यूजर्स ने अनिरुद्धाचार्य की प्रतिक्रिया पर भी सवाल उठाए, जिसमें वे केवल मुस्कराते नजर आए।
वीडियो की सत्यता पर सवाल बरकरार
हालांकि यह वीडियो लाखों बार देखा जा चुका है, लेकिन इसकी तारीख और संदर्भ की पुष्टि नहीं हो पाई है। ‘लाइव हिंदुस्तान’ सहित कई मीडिया संस्थान इस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करते हैं। बावजूद इसके, यह घटना एक बार फिर धार्मिक नेताओं और राजनीतिक नेताओं के विचारों की टकराहट को सामने ले आई है।
यह वायरल वीडियो भले ही कब का हो, लेकिन इससे यह साफ होता है कि भारतीय राजनीति में सामाजिक समानता और शब्दों की जिम्मेदारी आज भी संवेदनशील विषय हैं। अखिलेश यादव की टिप्पणी जहां समाज के एक वर्ग को सम्मान देने का संदेश देती है, वहीं यह सवाल भी उठाती है कि धर्म और राजनीति के इस चौराहे पर संवाद का स्तर कैसा होना चाहिए।