Aligarh News: अलीगढ़ जिले के तहसील अतरौली के गांव कासिमपुर गदाईपुर निवासी भगवंत सिंह को एक प्रशासनिक गलती के कारण पिछले आठ महीनों से गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी वृद्धावस्था पेंशन, जो उनकी आजीविका का एक अहम हिस्सा है, सत्यापन के दौरान एक कर्मचारी की लापरवाही से रोक दी गई। गलती से उन्हें मृत घोषित कर दिया गया, जिसके कारण उनकी पेंशन बंद कर दी गई। अब भगवंत सिंह अधिकारियों से बार-बार अपील कर रहे हैं कि उन्हें जीवित होने के बावजूद पेंशन फिर से जारी की जाए, लेकिन कोई भी उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है।
अलीगढ़ के भगवंत सिंह की दुखभरी कहानी! आठ माह से अधिकारियों को बता रहे हैं कि वह जिंदा हैं, फिर भी उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी गई। सत्यापन में हुई गलती के कारण उन्हें तहसील और ब्लॉक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। @AligarhDM #PensionIssue pic.twitter.com/32wBrDrP71
— The MidPost (@the_midpost) February 14, 2025
प्रशासनिक गलती से पेंशन रोकी गई
भगवंत सिंह की समस्या का कारण एक कर्मचारी की लापरवाही है, जिसने सत्यापन के दौरान उन्हें मृत घोषित कर दिया, जबकि वे जीवित हैं। उनकी वृद्धावस्था पेंशन, जो उनके जीवनयापन का एक मुख्य स्रोत थी, इस गलती के बाद रोक दी गई। अब आठ महीने से भगवंत सिंह तहसील, ब्लॉक और विकास भवन के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारियों से कोई मदद नहीं मिल रही है। उन्होंने कई बार अधिकारियों को बताया कि वह जीवित हैं, लेकिन पेंशन पुनः शुरू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
काफी प्रभावित हुआ जीवन
भगवंत सिंह की पेंशन रोकने से उनका जीवन और भी कठिन हो गया है। वृद्धावस्था के कारण उनकी शारीरिक स्थिति भी कमजोर है, और आर्थिक तंगी के कारण उन्हें इलाज और अन्य जरूरतों में भी मुश्किलें आ रही हैं। उन्होंने कहा, “मैं आठ महीने से अधिकारियों के पास जा रहा हूं, लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुन रहा। मेरी पेंशन तो बहाल होनी चाहिए।”
इस पूरे मामले ने प्रशासनिक तंत्र की कार्यक्षमता और जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े किए हैं। एक छोटी सी गलती ने न केवल भगवंत सिंह के जीवन को प्रभावित किया, बल्कि उनके परिवार को भी गंभीर संकट में डाल दिया है।
Aligarh प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना Aligarh प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता को और अधिक प्रकट करती है। अगर इस तरह की गलतियाँ समय रहते ठीक नहीं की जातीं, तो इससे न केवल एक व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि समाज का विश्वास भी टूटता है। भगवंत सिंह की पेंशन को जल्द से जल्द बहाल करने के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र में सुधार की आवश्यकता महसूस हो रही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार पत्रों के जरिए यह मामला अब अधिक प्रकाश में आ गया है, और शायद इससे भगवंत सिंह को जल्द ही न्याय मिल सके।