Allahabad High Court: 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता, जो स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद से रिटायर हो चुके हैं, और उनकी 76 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी के बीच संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस मामले में मुनेश कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जहां मंगलवार को जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की अध्यक्षता में सुनवाई हुई। न्यायालय ने बुजुर्ग दंपति के इस विवाद पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा, “लगता है कि कलियुग आ गया है।”
फैमिली कोर्ट ने दिया था भरण-पोषण का आदेश
इस साल 16 फरवरी को Allahabad फैमिली कोर्ट ने गायत्री देवी के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें जज ज्योति सिंह ने मुनेश कुमार को अपनी पत्नी को हर महीने 5,000 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। यह आदेश तब आया जब गायत्री देवी ने 2018 में फैमिली कोर्ट में अपने पति से 15,000 रुपये की मांग की थी। उनका कहना था कि उनके पति को हर महीने करीब 35,000 रुपये की पेंशन मिलती है, और उस हिसाब से वह 15,000 रुपये की गुजारा भत्ता की हकदार हैं।
मुनेश कुमार ने फैमिली कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
मुनेश कुमार ने Allahabad फैमिली कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां 24 सितंबर को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में उन्होंने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपना पक्ष रखा और गुजारा भत्ता की राशि को लेकर असहमति जताई।
Allahabad हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने चिंता जताते हुए कहा, “इस उम्र में ऐसी कानूनी लड़ाई चिंता का विषय है।” उन्होंने दंपति को आपसी समझौते का सुझाव देते हुए यह भी उम्मीद जताई कि वे अगली सुनवाई तक किसी समाधान पर पहुंच जाएंगे।
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आगे की प्रक्रिया
फिलहाल, Allahabad हाईकोर्ट ने गायत्री देवी को नोटिस जारी कर दिया है और मामले की अगली सुनवाई तक दोनों पक्षों से समझौते की उम्मीद जताई है। अदालत ने इस मामले को संवेदनशील मानते हुए जल्द समाधान का प्रयास करने का निर्देश दिया है।