Allahabad High Court: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को सभी 18 वादों की एक साथ सुनवाई का आदेश दिया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि सभी वादों में मांगी गई राहतें अलग-अलग हैं और इसलिए इन्हें एक साथ सुनना उचित नहीं होगा। हाईकोर्ट के इस निर्णय से हिंदू पक्ष को एक महत्वपूर्ण जीत मिली है, जिससे विवाद की सुनवाई अब लगातार जारी रहेगी।
16 अक्टूबर 2024 को सुनवाई के दौरान, मुस्लिम पक्ष ने न्यायालय से आग्रह किया कि 11 जनवरी 2024 के आदेश को रद्द किया जाए। उनका कहना था कि प्रत्येक वाद में राहत की मांगें असमान हैं, इसलिए सभी को एक साथ सुनना न्याय संगत नहीं होगा। इस पर हिंदू पक्ष ने कोर्ट में लिखित आपत्ति दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने मुस्लिम पक्ष के रिकॉल आवेदन का विरोध किया।
Allahabad High Court ने अपने फैसले में कहा कि 11 जनवरी को पारित आदेश के अनुसार सभी 18 वादों की एक साथ सुनवाई जारी रहेगी। यह निर्णय इस विवाद के त्वरित निपटान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मामले की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के प्रतिनिधि आशुतोष पांडेय ने न्यायालय में मुस्लिम पक्ष के दावों का प्रतिवाद किया।
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इससे पहले, 1 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूरी दी थी, जबकि मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया गया था। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया था कि दोनों पक्षों को ट्रायल शुरू होने से पहले अपनी बात रखने का अवसर मिले। अब, मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी खारिज होने के बाद, ट्रायल की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
Allahabad High Court का यह फैसला न केवल मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में बल्कि पूरे देश में धार्मिक और कानूनी मामलों की संवेदनशीलता को भी उजागर करता है। सभी पक्षों को अपनी दलीलें प्रस्तुत करने का एक और मौका मिल गया है, जिससे विवाद का समाधान निकाले जाने की संभावना बढ़ गई है।