Aligarh Muslim University : सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अल्पसंख्यक दर्जा को लेकर अपना निर्णय सुनाने जा रहा है। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा सुनाया जाएगा, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जे.बी. पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और एससी शर्मा शामिल हैं। इससे पहले, सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था कि विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बना रहेगा या नहीं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास
देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में से एक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना 24 मई 1920 को की गई थी। यह विश्वविद्यालय महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान की दृष्टि का परिणाम है, जिन्होंने 1877 में मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा मुहैया कराने की आवश्यकता महसूस की और मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की। यही कॉलेज आगे चलकर 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में तब्दील हुआ और यह आजादी के बाद देश के चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक बना।
AMU के इतिहास पर दृष्टि डालने से यह स्पष्ट होता है कि 1857 की क्रांति ने सर सैयद अहमद खान पर गहरा प्रभाव डाला। उनके परिवार के सदस्य इस विद्रोह में अंग्रेजों के हमले का शिकार बने थे। इस अनुभव ने सर खान को आधुनिक शिक्षा को एक हथियार बनाकर अंग्रेजों को चुनौती देने की प्रेरणा दी। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल होकर 1870 में इंग्लैंड जाने का निर्णय लिया ताकि वहां आधुनिक शिक्षा के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकें।
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इंग्लैंड में उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का दौरा किया और भारत में आधुनिक शिक्षा का प्रसार करने का सपना देखा। वापस लौटने के बाद, सर खान ने अलीगढ़ में सिर्फ सात छात्रों के साथ एक मदरसे की स्थापना की। धीरे-धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने लगी और 1877 में इस संस्थान का विस्तार करते हुए एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत की गई। यह कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदल गया, जो आज विश्वभर में एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के रूप में जाना जाता है।