KGMU में बड़ी लापरवाही! बिना इजाज़त कर दी महिला की नसबंदी, मां-बच्चे की मौत, चार डॉक्टरों पर केस

लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं। क्वीन मैरी अस्पताल में प्रसव के दौरान एक महिला की बिना सहमति नसबंदी कर दी गई, जबकि नवजात की भी मौत हो गई। कोर्ट के निर्देश पर यूपी सरकार और चार डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

KGMU Queen Mary Hospital

KGMU Queen Mary Hospital : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), जो चिकित्सा के क्षेत्र में देश-विदेश में अपनी प्रतिष्ठा रखती है, अब गंभीर आरोपों के चलते सवालों के घेरे में आ गई है। आमतौर पर यहां के डॉक्टरों को मरीज़ भगवान समान मानते हैं, लेकिन इसी संस्थान के क्वीन मैरी अस्पताल से जुड़े एक सनसनीखेज मामले ने चिकित्सा पेशे की साख पर गंभीर चोट पहुंचाई है। हरदोई निवासी हेमवती नंदन ने 4 अक्टूबर 2022 को अपनी पत्नी उमा मिश्रा को डिलीवरी के लिए लखनऊ के क्वीन मैरी अस्पताल में भर्ती कराया था।

अगले दिन ऑपरेशन के जरिए बेटे का जन्म हुआ, लेकिन जन्म के कुछ ही घंटों में नवजात की तबीयत बिगड़ने लगी और उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया। इलाज के बावजूद नवजात की मौत हो गई। माँ-बेटे की इस दुखद स्थिति के बीच परिवार पर एक और आघात तब लगा, जब उन्हें पता चला कि डॉक्टरों ने बिना उनकी अनुमति के उमा मिश्रा की नसबंदी कर दी है। पीड़ित का कहना है कि उसने नसबंदी के लिए पहले ही स्पष्ट रूप से मना किया था और लिखित आपत्ति भी दर्ज करवाई थी।

चार डॉक्टरों पर गंभीर आरोप 

हेमवती नंदन ने जिन डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है, उनमें डॉ. अमिता पांडे, डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. निदा खान और डॉ. शिवानी शामिल हैं। पीड़ित का कहना है कि जब उसने नसबंदी को लेकर सवाल उठाए तो डॉक्टरों ने न केवल जवाब देने से इनकार किया बल्कि कथित तौर पर धमकी दी कि अगर शिकायत की गई तो भविष्य में इलाज में बाधा डाली जाएगी। एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि नसबंदी के लिए परिजनों की अनुमति के फर्जी दस्तखत किए गए, जिनके सबूत पीड़ित के पास मौजूद हैं।

न्याय के लिए लड़ा लंबा संघर्ष

इस मामले में हेमवती नंदन ने पहले चौक कोतवाली और मेडिकल चौकी में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। चौक थाने की पुलिस ने उसे पुलिस कमिश्नर से संपर्क करने की सलाह दी। जब वहां से भी राहत नहीं मिली तो पीड़ित ने मुख्यमंत्री पोर्टल, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और केजीएमयू प्रशासन तक कई पत्र भेजे, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

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आखिरकार, हताश होकर उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। कोर्ट के आदेश पर अब चौक कोतवाली पुलिस ने आईपीसी की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 338 (जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 467 (फर्ज़ी दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के लिए फर्ज़ीवाड़ा) और 506 (धमकी देना) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है।

KGMU प्रशासन पर उठे सवाल 

इस मामले के उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और केजीएमयू प्रशासन में हलचल मच गई है। एक ओर जहां पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद में अब कोर्ट की निगरानी की ओर देख रहा है, वहीं दूसरी ओर इस घटना ने देश की प्रमुख मेडिकल यूनिवर्सिटी की छवि पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल चिकित्सा नैतिकता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्याय पाने के लिए आम नागरिक को कितनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है।

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