लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। बिहार चुनाव का शोर थम चुका है। बिहार चुनाव के नतीजे आ गए हैं। बिहार में एकबार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है। बिहारियों को फिर से सुशासनबाबू भा गए हैं। बिहारियों ने डंके की चोट पर ऐलान कर दिया है, सूबे में अभी भी टाइगर जिंदा है। पटना में एकाएक चहल कदमी बढ़ गई है। जल्द ही नई सरकार शपथ लेगी। वहीं हैदराबाद के ओवैसी भी गदगद हैं। मिशन 2025 में उनकी पतंग सीमांचल में खूब उड़ी। एआईएमआईएम चीफ का जलवा सीमांचल में सिर चढ़कर बोला। यहां औवैसी की पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। इस फहत को लेकर मुस्लिम युवती का नाम सोशल मीडिया में छाया हुआ है। ऐसी चर्चा है कि औवैसी ने इसी गर्ल को सीमांचल की कमान दी थी। जबकि महागठबंधन की बागडोर कैराना से सपा सांसद इकरा हसन के हाथों में थी। लेकिन सीमांचल में इकरा बेअसर रहीं।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। एनडीए ने प्रचंड जीत दर्ज की है। लगातार पांचवी बार नीतीश कुमार सीएम पद की शपथ लेकर नया रिकार्ड बनाने जा रहे हैं। इस जीत से एनडीए का कुनबा गदगद हैं तो महागठबंधन के अंदर रार शुरू हो गई है। लालू यादव के परिवार में हार के बाद बगावत हो गई है। लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता तोड़ लिया है। लालू की बेटी ने राजनीति से भ सन्यास का ऐलान कर सनसनी मचा दी है तो वहीं ओवैसी बिहार चुनाव के परिणाम आने के बाद गदगद हैं। औवैसी की हैदराबाद की गर्ल भी खुश है। कभी करांटे में देश को मेडल जितवाने वाली ओवैसी की पार्टी की ये युवती अब अब राजनीति की किंग बन चुकी हैं। हैदराबाद की बुर्के वाली लड़की बिहार चुनाव में पोस्टर गर्ल बनकर उभरी। जहां-जहां जनसभाएं की, वहां-वहां औवैसी की पतंग उड़ी।
दरअसल, बिहार की सीमांचल वह इलाका है, जिसे मुस्लिम बाहूल्य कहा जाता है। यहां कुल 24 सीटों पर मतदान हुआ। सीमांचल की कमान तेजस्वी यादव ने सपा की लेडी सांसद इकरा हसन को सौंपी। इकरा सीमांचल में कईदिनों तक रूकी। अनगिनत सभाएं की। रोड शो किए। चौपाल सजाकर महागठबंधन की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया। इकरा के जवाब में औवैसी ने सैयदा फलक को सीमांचल पर उतारकर खेला कर दिया। सैयदा फलक ने धुआंधार चुनाव प्रचार किया। सड़क पर उतरीं। गांव-गांव गई। महिलओं के बीच चौपाल सजाई। राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को लेकर कई खुलासे किए। जनता को ओवैसी की सैयदा फलक पसंद आई। वोटिंग के वक्त मतदाताओं ने महागठबंधन के बजाए एआईएमआईएम के पक्ष में वोटिंग कर बड़े उलटफेर कर दिया। जिस सीमांचल पर महागठबंधन की नजर थी, वहां से उन्हें महज दो सीटें मिलीं। जबकि ओवैसी की पार्टी 5 सीटें जीतकर भारत की राजनीति में खेल के संकेत दे दिए हैं।
हैदराबाद की रहने वाली 31 साल की सैयदा फलक कराटे की दुनिया में जाना-माना नाम हैं। उन्होंने अब तक 20 नेशनल और 22 इंटरनेशनल चौंपियनशिप अपने नाम की हैं। वो तेलंगाना की पहली महिला खिलाड़ी बनीं, जो विश्व और एशियाई कराटे चौंपियनशिप के लिए क्वालीफाई हुई थीं। लोग उन्हें तब फलक द फाइटर कहते थे, लेकिन अब वही बन चुकी है फलक द पॉलिटिकल फाइटर। सैयदा फलक खेल की दुनिया की महारथी थीं, लेकिन पांच वर्ष पहले उन्होंने राजनीति में कदम रखा। फलक ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन पार्टी में शामिल हो गईं। खुद एआईएमआईएम प्रमुख अकबरुद्दीन ओवैसी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। फलक ने राजनीति में आने को लेकर एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि बीजेपी सांप्रदायिक दल हैं। बाकी पार्टियां तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां हैं। जबकि एआईएमआईएम एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है जो सिर्फ़ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि दलितों, आदिवासियों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए भी काम करती है।
सैयदा फलक ने आगे कहा था कि, इसके अलावा, भारतीय राजनीति में बदलाव का समय आ गया है। मैं देख सकती हूं कि हमारे देश में क्या हो रहा है और मैं अन्याय के प्रति असहिष्णु र्हूं भारत के अल्पसंख्यक अन्याय के खिलाफ तभी लड़ सकते हैं जब वे लोकतांत्रिक तरीके से राजनीतिक रूप से मज़बूत बनें। फलक ने खुलकर कहा कि इस वक्त देश में मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है। उनके घरों पर बुलडोजर चल रहे हैं। बिहार और यूपी के मुसलमान आजादी के बाद से कांग्रेस, सपा और आरजेडी को वोट करते आ रहे हैं। बदले में उन्हें इन दलों ने क्या दिया। हां सपा-आरजेडी और कांग्रेस वालों ने मुसलमान को दरी बिछाने के काम पर लगा दिया। उन्हें अब्दुल बना दिया। अब अब्दूल दरी नहीं बिछाएगा। वह भी सरकार में भागीदार बनेगा। अब दलित-मुस्लिम भी सत्ता की कुर्सी पर बैटेगा। अेवैसी ही वह नेता हैं, जो समाज के गरीब तबगे की बात उठाते हैं। हम यूपी आ रहे हैं। यूपी में भी खेला होगा। अब यूपी का मुसलमान बैंडबाजा-बाराती नहीं बल्कि दूल्हा बनेगा।










