माफी के बाद मायावती का मेहरबानी दांव, समधी अशोक सिद्धार्थ बने सुपर कॉर्डिनेटर

बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाल ही में पार्टी में लौटे अपने समधी और आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्हें केंद्रीय कोऑर्डिनेटर बनाकर चार राज्यों का प्रभार सौंपा गया है।

Mayawati

Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी (BSP) में चुनावी तैयारी और अंदरूनी बदलावों का दौर तेज हो गया है। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सुप्रीमो मायावती लगातार नाराज नेताओं को वापस जोड़ने में लगी हुई हैं। इसी कड़ी में हाल ही में सार्वजनिक रूप से माफी मांगकर पार्टी में लौटे अशोक सिद्धार्थ को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। सूत्रों के अनुसार उन्हें केंद्रीय कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर चार महत्वपूर्ण राज्यों का प्रभार दिया गया है। अशोक सिद्धार्थ, जो बसपा सुप्रीमो Mayawati के समधी और आकाश आनंद के ससुर भी हैं, अब गुजरात, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में पार्टी के जनाधार को मजबूत करने का काम करेंगे। इस फैसले को बसपा में रणनीतिक बदलाव की अहम कड़ी माना जा रहा है।

मायावती का दांव और सिद्धार्थ की वापसी

अशोक सिद्धार्थ कभी बसपा के अहम चेहरे रहे हैं और सांसद भी रह चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट लिखकर मायावती से माफी मांगी थी। इस माफी के कुछ ही घंटों बाद मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस लेने का ऐलान कर दिया। खास बात यह रही कि यह फैसला उसी समय हुआ जब कुछ दिन पहले ही Mayawati ने अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया था। अब आकाश के समधी अशोक सिद्धार्थ को भी केंद्रीय जिम्मेदारी सौंप दी गई है।

चार राज्यों की जिम्मेदारी

सूत्रों के मुताबिक अशोक सिद्धार्थ को गुजरात, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी दी गई है। इन राज्यों में बसपा का जनाधार सीमित रहा है, ऐसे में पार्टी ने उन्हें संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी है। बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ इन राज्यों में बैठकों, कार्यकर्ता संवाद और रणनीतिक कार्यक्रमों के जरिए पार्टी की पकड़ बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

संगठन में सेक्टर आधारित ढांचा

बसपा ने देश को छह सेक्टरों में बांटा है और हर सेक्टर में तीन से चार राज्यों की जिम्मेदारी तय की गई है। प्रत्येक सेक्टर के कार्यों की समीक्षा अब आकाश आनंद करेंगे। अशोक सिद्धार्थ की नई नियुक्ति इसी संरचना का हिस्सा है। पार्टी में यह संदेश भी गया है कि जो नेता माफी मांगकर लौटेगा, उसे सम्मानजनक भूमिका दी जा सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती का यह कदम 2027 के चुनावों की तैयारी से जुड़ा है। पार्टी धीरे-धीरे पुराने चेहरों को वापस लाकर संगठन को मजबूती देना चाहती है। आकाश आनंद की युवा नेतृत्व की छवि और अशोक सिद्धार्थ का अनुभव मिलकर बसपा के लिए नई राह तैयार कर सकते हैं।

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