चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा शुरू कर दी गई है। पूरे प्रदेश में राजनीतिक माहौल भी गरमाने लगा है। ऐसे में चुनाव घोषणा के तत्काल बाद कद्दावर नेता व वर्तमान सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा सरकार पर दलित पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया गया। इसके बाद प्रदेश की राजनीतिक माहौल में एक नया भूचाल सा आ गया। तरह-तरह की चर्चाओं व कयासबाजी शुरू हो गई।
इस घटना के दूसरे दिन ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने पुनः अपने एक बयान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘आरएसएस’ और भाजपा को नाग व सांपों का समूह बताते हए कड़ा प्रहार कर डाला। मौर्य ने अपने बयान में कहाकि संघ नाग है और भाजपा सांप है। जिन का खात्मा वह नेवला बनकर करेंगे। इसके बाद सोशल मीडिया पर स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे। जिसमें लोगों ने खुलकर पूछा है यदि संघ व भाजपा सांप नाग का समूह है तो ऐसे में अपनी बेटी संघमित्रा को उनके पाले में क्यों छोड़ दिए।
गौरतलब हो कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हैं। ऐसे में जब स्वामी प्रसाद के तरफ से संघ व भाजपा को लेकर तीखे बयान जारी किए जा रहे हैं। लोगों द्वारा उनसे यह सवाल पूछा जाने लगा कि अगर भाजपा इतनी बुरी है तो बेटी संघमित्रा को उसके पाले से बाहर कब निकाल रहे हैं। हालांकि सांसद संघमित्रा ने कल ही एक बयान देकर स्थिति स्पष्ट किया कि हम भले ही बाप बेटी दो अलग-अलग पार्टियों में राजनीति करें, लेकिन हमारा रिश्ता नहीं समाप्त होगा। हमारा आपसी संबंध बना रहेगा। इस तरह से एक तरफ जहां स्वामी प्रसाद मौर्य खुलकर भाजपा को गरियाते नजर आ रहे हैं, वहीं उनकी बेटी संघमित्रा अपने बयान के माध्यम से भाजपा में अपनी आस्था जताती नजर आ रही हैं।
-लोगों ने कहा सदस्यता समाप्त होने के डर से स्वामी ने बेटी को छोड़ रखा है, भाजपा में सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया के बाद भले ही बदायूं से भाजपा सांसद व स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य भाजपा में अपनी आस्था जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति व भाजपा के प्रति अपने समर्पण जताती नजर आ रही है। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ व आम लोगों की मानें तो यह पूरी कवायद महज उनकी सदस्यता बचाने के लिए की जा रही है।
गौरतलब हो कि लोकसभा सदस्य के रूप में अभी उनका कार्यकाल मई 2024 तक चलेगा। ऐसे में यदि संघमित्रा भी अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे देती हैं तो उनकी लोकसभा की सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाएगी। लोगों ने कहा कि जाहिर सी बात है इसी गरज से संघमित्रा की आस्था भाजपा में बनी हुई नजर आ रही है। तिथियों के साथ घटनाओं पर ध्यान दें तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अपना पूरा कार्यकाल पूर्ण हो जाने के बाद चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लगाए जाने व चुनाव की घोषणा कर दिए जाने के बाद ही अपने पद से इस्तीफा दिया। जिन्होंने अपने एक-एक दिन का सदुपयोग किया।
सोशल मीडिया पर पूछे जा रहे सवालों में 5 साल बाद दलित पिछड़ों वंचितों की याद आने के साथ ही बेटी को अकेले नाग व सांप के बीच में छोड़ देने का सवाल लगातार बना हुआ है।