Chetouna Dispute:छितौना गांव में आधा बिस्वा जमीन पर बांस लगाने और खेत में जानवर घुसने को लेकर संजय सिंह और भोला राजभर के परिवारों में झगड़ा हो गया। पहले तो यह मामला सिर्फ गांव के दो परिवारों के बीच की लड़ाई लग रहा था, लेकिन देखते-देखते यह एक जातीय टकराव में बदल गया।
राजनीतिक पार्टियों की एंट्री से बढ़ा विवाद
घटना के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), बीजेपी और सपा के कई राजभर नेता भोला राजभर के समर्थन में सामने आ गए। जवाब में करणी सेना और कई क्षत्रिय संगठन संजय सिंह के पक्ष में आ खड़े हुए। धीरे-धीरे यह विवाद वाराणसी से निकलकर बलिया और पूर्वांचल के अन्य जिलों तक पहुंच गया।
एकतरफा कार्रवाई का आरोप
5 जुलाई को यूपी सरकार के मंत्री अनिल राजभर खुद गांव पहुंचे और सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि पुलिस ने आरोपी पक्ष पर केस दर्ज कर लिया है। इस पर क्षत्रिय संगठनों ने आरोप लगाया कि मंत्री के दबाव में केवल एक पक्ष की एफआईआर हुई और दूसरे की बात नहीं सुनी गई। इसके बाद संजय सिंह की ओर से भी केस दर्ज हुआ।
अरविंद राजभर के जुलूस से और भड़का मामला
सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर जब कार्यकर्ताओं के साथ गांव पहुंचे तो उनके साथियों द्वारा किए गए आपत्तिजनक नारों का वीडियो वायरल हो गया। इस वीडियो में करणी सेना और क्षत्रिय समाज को लेकर अपशब्द कहे गए। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों पर केस दर्ज कर लिया।
टकराव रोकने की कोशिशें
करणी सेना ने इसके विरोध में 15 जुलाई को छितौना मार्च की घोषणा की। हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए प्रशासन हरकत में आया और सभी संगठनों के साथ बैठक की गई। कुछ लोगों को नजरबंद कर दिया गया और अंत में मार्च रद्द कर दिया गया।
बीजेपी के लिए मुश्किल हालात
सुभासपा और क्षत्रिय समाज, दोनों ही बीजेपी के प्रमुख वोट बैंक माने जाते हैं। संजय सिंह खुद बीजेपी के बूथ अध्यक्ष हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए यह मामला काफी पेचीदा हो गया है। अगर कोई भी वर्ग नाराज़ होता है, तो चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।