Chhangur Baba conversion racket ED raid: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित अवैध धर्मांतरण मामले में मुख्य आरोपी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। बलरामपुर के उतरौला और मुंबई के दो ठिकानों समेत कुल 14 जगहों पर ईडी ने एक साथ छापेमारी की। इस रेड में ईडी की सात टीमें शामिल थीं, जिन्होंने छांगुर बाबा की कोठी और अन्य मकानों की बारीकी से तलाशी ली। ईडी ने यह कार्रवाई एटीएस से मिले दस्तावेजों और एक साल में 100 करोड़ रुपये के लेनदेन की जानकारी के आधार पर की। ईडी की टीमें अब तहसील कार्यालय पहुंचकर कर्मचारियों से भी पूछताछ करेंगी। वहीं, एटीएस की एक टीम गोण्डा में आरोपी से जुड़े एक मृत युवक की पड़ताल में भी पहुंची है।
ईडी की रेड में नए खुलासों की उम्मीद
उत्तर प्रदेश और मुंबई में हुई छापेमारी के दौरान ईडी ने बलरामपुर जिले के उतरौला में मौजूद कोठियों और घरों की तलाशी के साथ-साथ कई दस्तावेज भी जब्त किए हैं। बताया गया है कि यह छापेमारी पिछले एक साल में हुए संदिग्ध 100 करोड़ रुपये के लेनदेन से जुड़ी है। छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को एटीएस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। ईडी की कार्रवाई के बाद अब तहसील कार्यालयों और कुछ अन्य कर्मचारियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में ईडी की रेड अन्य जिलों में भी हो सकती है।
गोण्डा में एटीएस ने की छांगुर के साथी की पड़ताल
एटीएस की एक टीम गोण्डा जिले के रेतवागाड़ा गांव पहुंची, जहां धर्मांतरण से जुड़े एक युवक की जानकारी इकट्ठा की गई। यह युवक रमजान अली था, जो कव्वाली और जागरण के कार्यक्रमों में भाग लेता था। वर्ष 2023 में आजमगढ़ के एक कार्यक्रम में धर्मांतरण के आरोप में बजरंग दल के विरोध के बाद पुलिस ने रमजान को जेल भेज दिया था। वह आठ महीने तक जेल में रहा और 3 जनवरी 2024 को जमानत पर छूटा। लेकिन इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और 4 मार्च को उसकी मृत्यु हो गई। एटीएस रमजान नामक एक शिक्षक की तलाश में वहां पहुंची थी, लेकिन उसकी मौत की जानकारी मिलने के बाद उससे जुड़े पहलुओं की जांच की गई।
तहसीलकर्मियों पर भी ईडी की नजर
ईडी की जांच में उतरौला तहसील के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। सूत्रों का कहना है कि ईडी जल्द ही इन कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है। अब यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति या संस्था तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि एक पूरे रैकेट और संभावित सरकारी सहयोग की ओर इशारा करता है। इससे साफ है कि छांगुर बाबा के अवैध धर्मांतरण रैकेट की जड़ें कहीं गहरी हैं और जांच एजेंसियां अब उस पूरे नेटवर्क को सामने लाने में जुट गई हैं।