प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। दुनिया के सबसे बड़े पर्व महाकुंभ का आगाज 13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहा है। जिसको लेकर संगम नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है। देश के कोने-कोने से संत-महात्मा त्रिवेणी के तट पर पहुंच रहे हैं। संगम की रेती में बने पंडालों में सुबह से लेकर देररात तक हर-हर महादेव के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। महाकुंभ में 9 वर्ष के नागा साधू जहां आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं तो असम के कामाख्या पीठ से आए गंगापुरी महाराज उर्फ छोटू बाबा चर्चा का केंद्र बन गए हैं। ‘महाराज जी’ से मिलने वाला का तांता लगा रहता है। वह भी अपनी रहस्यमयी जिंदगी के बारे में लोगों को बताते हैं।
असम से आए गंगापुरी महाराज
प्रयागराज महाकुंभ में संत-सन्यासी पहुंच रहे हैं। सबकी नजर 13 जनवरी पर टिकी है। इसदिन महाकुंभ का आगाज होगा, जो 45 दिनों तक चलेगा। इस महापर्व में करीब 45 करोड़ से अधिक भक्तों की आने की संभावना व्यक्त की गई है। फिलहाल संगम की रेती में बने पंडालों पर साधू-सन्यासी डेरा जमाए हुए हैं। एक ऐसे ही संत असम से आए गंगापुरी महाराज हैं, जो लोगों के बीच खासा चर्चा में बने हुए हैं। महाराज का कद महज 3 फुट 8 इंच है। बताया जा रहा है कि उन्होंने 32 सालों से स्नान भी नहीं किया है। महाराज जी से मिलने वाला का तांता लगा रहता है। वह खुलकर लोगों से बातें करते हैं और सनानत के प्रचार-प्र्रसार का संकल्प भी दिलवाते हैं।
छोटे बाबा की उम्र करीब 57 वर्ष की
छोटे बाबा की उम्र करीब 57 वर्ष की है। उन्होंने अपनी छोटे कद को कभी कमजोरी नहीं माना। उन्होंने कहा कि शरीर के कद का हमारे जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है। हम तो बचपन में ही सन्यासी बन गए और तब से साधना में लगे हुए हैं। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान गंगापुरी महाराज ने बताया कि उन्होंने गुरु के आशीर्वाद से बिना स्नान किए खुद को स्वस्थ रखा है। उन्होंने कहा कि जब उनकी प्रतीज्ञा पूरी हो जाएगी, तब वो स्नान करेंगे। हालांकि छोटे बाबा ने कहा कि महाकुंभ में वो को नहीं लेकिन उनकी जटा को स्नान कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जटा का स्नान जरुरी होता है। यह आध्यात्मिक सफाई का प्रतीक है।
जूना अखाड़े की नागा पीठ से जुड़े
म्हाराज जी ने न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा कि, वे महाकुंभ में आध्यात्म की धूनी रमाकर साधना करेंगे और मां गंगा-यमुना के संगम को निहारेंगे, लेकिन संकल्प की वजह से स्नान नहीं करेंगे। उन्होंने संगम के पास ही अपना छोटा सा कैंप भी लगा लिया है। छोटू बाबा कहते हैं कि तन की शुद्धता से ज्यादा जरूरी मन की शुद्धता है। जब तक आप आंतरिक रूप से शुद्ध नहीं होंगे, तब तक बाहरी काया को चमकाने का कोई फायदा नहीं है। पहली बार प्रयागराज आए छोटू बाबा जूना अखाड़े के नागा संत हैं। वे जूना अखाड़े की नागा पीठ से जुड़े हुए हैं। वे लोकप्रिय संत हैं।
सबसे पवित्र स्थानों में से एक
बता दें कि 13 जनवरी को प्रयागराज के संगम पर महाकुंभ का आयोजन होने वाला है। कुंभ मेले का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। ऐसे में इसका बेसब्री से इंतजार होता है। संगम का अर्थ मिलन होता है। यह वह स्थान है जहां तीन पवित्र नदियां, गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती आपस में मिलती हैं। भारतीय धार्मिक स्थलों में संगम को सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि संगम में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति होती है। संगम पर पूजा, ध्यान और पिंडदान जैसे धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं।