UP Cabinet expansion: उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई है। 30 दिसंबर को हुई बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक के बाद यह संकेत मिले हैं कि नए साल में ‘खरवास’ समाप्त होते ही सरकार में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस विस्तार का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधते हुए मिशन 2027 के लिए एक मजबूत टीम तैयार करना है। फिलहाल मंत्रिमंडल में 54 मंत्री हैं, जबकि अधिकतम सीमा 60 है। ऐसे में आधा दर्जन नए चेहरों की एंट्री और कई मौजूदा मंत्रियों के विभागों में फेरबदल की संभावना है। इसमें सपा से आए बागियों और सहयोगी दलों को भी जगह दी जा सकती है।
योगी कैबिनेट विस्तार: नए साल में बड़ा सियासी फेरबदल
उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए साल का आगाज बड़े बदलावों के साथ होने जा रहा है। योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लंबे समय से चल रहा इंतजार अब खत्म होता दिख रहा है।
इन नेताओं की लग सकती है लॉटरी
UP Cabinet expansion मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले संभावित चेहरों में कई दिग्गज नाम शामिल हैं:
भूपेंद्र चौधरी: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, जिनका कद सरकार में बढ़ाया जा सकता है।
अशोक कटारिया: पश्चिमी यूपी के बड़े गुर्जर नेता और संगठन के पुराने कैडर।
बलदेव औलख: वर्तमान राज्य मंत्री, जिन्हें कैबिनेट रैंक में प्रमोट किया जा सकता है।
मनोज पांडेय और पूजा पाल: समाजवादी पार्टी के बागी विधायक, जिन्हें पाला बदलने का इनाम मिल सकता है।
साध्वी निरंजन ज्योति: निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रखर भगवा चेहरा।
संगठन और सरकार में तालमेल
सूत्रों के अनुसार, यह UP Cabinet expansion केवल चेहरों को शामिल करने तक सीमित नहीं रहेगा। करीब आधा दर्जन मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया जाएगा, जबकि कुछ को हटाकर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हाल ही में पंकज चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद, अब सरकार और संगठन दोनों को 2027 के लिए नए सिरे से तैयार किया जा रहा है।
सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन
बीजेपी इस विस्तार के जरिए ‘सोशल इंजीनियरिंग’ पर जोर दे रही है:
जातीय समीकरण: ब्राह्मण, गुर्जर, निषाद और सिख समुदाय को प्रतिनिधित्व देकर हर वर्ग को साधने की कोशिश।
सहयोगी दल: राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और अपना दल (एस) के कोटे से भी एक-एक मंत्री बढ़ाए जा सकते हैं।
क्षेत्रीय प्रभाव: पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक के समीकरणों को इस विस्तार में जगह दी जाएगी।
विशेष नोट: ‘खरवास’ के कारण हिंदू मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्य टाले जाते हैं, इसलिए 15 जनवरी (मकर संक्रांति) के बाद किसी भी दिन शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हो सकता है।





