मोहसिन खान(नोएडा डेस्क) : आखिरकार ढाई महीने की मशक्कत के बाद भाजपा(BJP) ने उत्तर प्रदेश में 70 ज़िलों में अपने सेनापति उतार दिए है। यूपी को बीजेपी ने संगठनात्मक दृष्किण से 98 ज़िलों में बांटा था और उसमें से 70 ज़िलों में महानगर और जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिए है जबकि गुटबाज़ी और विरोध के चलते 28 ज़िलों में फिलहाल चुनाव रोक दिया है। बड़ी बात ये है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव-2026 और विधानसभा चुनाव-2027 को देखते हुए सटीक राजनीतिक समीकरण को जातीय आधार पर बैठाया और फिर से अगडो पर भरोसा जताया और कहीं ना कहीं ओबीसी और आधी आबादी से किनारा किया।
सपा के सफाए को बनाया ये प्लान
माना जाता है कि सामान्य जाति का वोट बैंक भाजपा का कोर वोट बैंक है और इसी वजह से पहले चरण में 70 में से 39 ज़िलाध्यक्ष सामान्य जाति से आते है। जिसमें 20 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, 3 कायस्थ, 2 भूमिहार, 4 वैश्य और 1 पंजाबी अध्यक्ष शामिल हैं। ओबीसी के 25 जिलाध्यक्ष हैं, जिनमें यादव, बढ़ई, कश्यप, कुशवाहा, पाल, राजभर, रस्तोगी, सैनी के 1-1 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं।
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जबकि 5 कुर्मी, 2 मौर्य, 4 पिछड़ा वैश्य, 2 लोध समाज के नेता शामिल हैं। हालाकि महिला और एससी वर्ग को साधने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने एससी और महिलाओं की संख्या 20 फीसदी तक करने का सुझाव दिया था। लेकिन उसके सापेक्ष में महिलाओं की संख्या को बढ़ाकर 4 से 5 और एससी की संख्या को बढ़ाकर 4 से 6 किया गया।
अनुसूचित वर्ग से बने 6 जिलाध्यक्ष
अनुसूचित वर्ग से कुल 6 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। इनमें एक-एक धोबी, कठेरिया, कोरी और पासी वर्ग से 3 जिलाध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। भाजपा ने 70 में से एक भी मुस्लिम जिलाध्यक्ष नहीं बनाया है। भाजपा ने ढाई महीने की मशक्कत के बाद पंचायत चुनाव से विधानसभा चुनाव तक के लिए सटीक सियासी समीकरण बैठाया है। भाजपा ने अगड़ी जातियों को तवज्जो देकर यह पक्का किया है कि सपा किसी भी स्थिति में उनके सवर्ण वोट बैंक में सेंध न लगा सके। पिछड़ी जातियों में भी कुर्मी, लोधी, सैनी, मौर्य, कुशवाह, यादव, राजभर, निषाद सहित सभी प्रमुख जातियों को मौका दिया। दलितों की संख्या बढ़ाकर सपा के पीडीए में पिछड़ा और दलित को साधने की कोशिश की है।