लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। कोरोना का नाम आते ही दिल बैठने लगता है। तबाही का वह मंजर आंखों के सामने एक बार फिर दोहराने लगता है। वो बर्बादी… वो बेबसी.. वो हाहाकार .. सब कुछ एक बार फिर ताजा हो जाता है। एक वायरस ने कैसे पूरी दुनिया को बेबस और मजबूर कर दिया था। बड़े-बड़े धन कुबेर देश भी करोना के आगे घुटना देखने को मजबूर हुए थे। अब खतरनाक ‘कीड़ा’ ( कोविड) एक बार फिर पैर पसार रहा है। सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड समेत अन्य एशिया के देशों में कोविड के मामले हरदिन बढ़ रहे हैं तो भारत में कोविड मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। जनवरी से लेकर मई के बीच 257 मरीज कोविड पॉजिटिव पाए गए। वहीं कानपुर के चिड़ियाघर में रहस्यमयी फीवर ने वन्यजीवों को जकड़ लिया है। जिसके कारण जू में ताला जड़ने के साथ ही लॉकडाउन जैसे हालात बन गए हैं।
पूरी दुनिया में कोविड के तीन नए वेरिएंट की दस्तक से लोग सहम गए हैं। चीन समेत तमाम देशों में दुबारा लॉकडाउन की नौबत आ गई है। भारत में भी इसकी एंट्री हो चुकी है। मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे शहरों में भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। जानकारी के मुताबिक, तमिलनाडु में कोविड-19 के 12 नए मामले सामने आए हैं, जबकि पुडुचेरी में 12 नए मामले सामने आए हैं। पहले इन्फ्लूएंजा के कारण होने वाले बुखार को अब कोविड-19 से जोड़कर देखा जा रहा है। कर्नाटक में कोविड-19 के 16 सक्रिय मामले सामने आए हैं। गुजरात में अहमदाबाद में एक ही दिन में सात मामले सामने आए हैं। भारत में अधिकांश मामले हल्के हैं और सिर्फ कोरोना से मौत या आईसीयू में भर्ती होने का नए मामलों से संबंध नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से विशेष रूप से बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
कोरोना वायरस का कहर एशिया के कई देशों में दिखना शुरू हो गया है। सिंगापुर में मई की शुरुआत में 14,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में यह संख्या करीब 11,100 थी। यहां मामलों में 28 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, रोजाना अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है। चीन और थाईलैंड में भी कोविड को लेकर सरकार अलर्ट पर हैं। चीन में बीमारियों की जांच करवाने जा रहे मरीजों में कोरोना वायरस पाए जाने के मामले दोगुने हो गए हैं। लोगों को बूस्टर शॉट लेने की सलाह दी गई है। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड की लहर जल्द ही तेज हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह लगे कि ये नए वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक या तेजी से फैलने वाले हैं। हालांकि, उनका मानना है कि यह लहर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर अपना असर दिखा सकती है।
इस बार कोविड संक्रमण के लिए ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट जेएन1 और उसके सब-वैरिएंट्स एलएफ7 और एनबी1.8को जिम्मेदार माना जा रहा है। जेएन1, ओमिक्रॉन के बीए 2.86 का एक स्ट्रेन है। अगस्त 2023 में पहली बार इसका केस मिलने की पुष्टि हुई थी। दिसंबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ’वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया था। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। अमेरिका की जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार जेएन1 पहले के वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। यह दुनिया के कई हिस्सों में सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। जेएन1 के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक कहीं भी रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लॉन्ग कोविड हो।
कोविड के बीच ही कानपुर चिड़ियाघर में रहस्यमई बीमारी की वजह से बब्बर शेर, मोर के बाद ब्राह्मी डक पक्षी की मौत हो गई। कर्मचारियों ने उसे सुरक्षित तरीके से बाहर निकला और बाड़े को सैनिटाइज कराया। रविवार को उसका शव जांच के लिए बरेली भेजा जाएगा। वहीं शनिवार को भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) से आई फाइनल रिपोर्ट में बब्बर शेर और मोर की मौत बर्ड फ्लू से होने की पुष्टि हुई है। संक्रमण का पता चलते ही सभी बाड़ों मे सैनिटाइजेशन और फॉगिंग शुरू हो गई है। चिड़ियाघर के आसपास एक किलोमीटर क्षेत्र को रेड जोन घोषित कर दिया है। पशुपालन विभाग लखनऊ की तीन सदस्यीय टीम ने चिड़ियाघर का निरीक्षण किया। शहर में कहीं भी मृत पक्षी मिलने पर उसकी तुरंत सूचना देने के निर्देश हुए हैं। अस्पतालों में बेड सुरक्षित कर लिए गए हैं, जबकि नगर निगम को सैनिटाइजेशन के कहा गया है।
कानपुर चिड़ियाघर में पहले बब्बर शेर की मौत हुई। उसके बाद जंगल सफारी के रास्ते में मोर मृत मिला था। दोनों के सैंपल जांच के लिए एनआईएचएसएडी भेजे गए थे। बब्बर शेर का सैंपल गोरखपुर चिड़ियाघर से पहले ही बरेली की लैब भेजा गया था। इसमें वहां के अधिकारियों ने संक्रमण की पुष्टि कर दी थी। जिला प्रशासन फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रहा था। शनिवार को भोपाल लैब से आयी रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई। सूचना मिलते ही लखनऊ से एडिशनल डायरेक्टर प्रथम पोल्ट्री डॉ. राजेंद्र प्रसाद, ज्वाइंट डायरेक्ट रोग नियंत्रक डॉ. विवेकानंद गंगवार, संयुक्त निदेशक पोल्ट्री डॉ. राजेश्वर सिंह, अपर निदेशक डॉ. अनिल कुमार गहलौत, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी आईडीएन चतुर्वेदी और चिड़ियाघर के पशुचिकित्सा अधिकारी और रेंजर की टीम ने शेर के बाड़े की जांच की। यहां से पक्षियों और अस्पताल परिसर में रखे गए वन्य जीवों को देखा। टीम करीब दो घंटे तक पशु और पक्षियों के खानपान समेत अन्य बिंदुओं पर जांच कर लखनऊ चली गई।