Mohan Bhagwat in Chitrakoot: धर्म-अधर्म की लड़ाई, अब देश को सुधारने की बारी, योगी को मिला भागवत का साथ

चित्रकूट में आयोजित जन्म शताब्दी समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत को दबाने की साजिशों के बावजूद सत्य का महत्व कभी कम नहीं होता। उन्होंने धर्म के पक्ष में खड़े होने और समाज को सुधारने का आह्वान किया, जिससे देश का उत्थान संभव हो सके।

Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat in Chitrakoot: चित्रकूट में आयोजित जन्म शताब्दी समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को उभरते हुए दबाने की साजिशों पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज धर्म और अधर्म की लड़ाई चल रही है, और अब अपने देश को सुधारने का समय है। भागवत का मानना है कि सत्य को कभी दबाया नहीं जा सकता, सत्य सिर चढ़कर बोलता है। सनातन धर्म के प्रति समाज और राष्ट्र का दायित्व उठाने की आवश्यकता है, जिससे पूरे विश्व में इसका संदेश फैलाया जा सके। कार्यक्रम में संतों और प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति से चित्रकूट एक बार फिर भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक बना।

स्वार्थ की साजिशों का जवाब सत्य से देंगे

आरएसएस प्रमुख Mohan Bhagwat ने चित्रकूट में अपने संबोधन में कहा कि देश के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिसमें स्वार्थ का एक विशाल रूप देश को दबाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सत्य हमेशा विजयी होता है। “सत्य सिर चढ़कर बोलता है,” भागवत ने दृढ़ता से कहा। उनके अनुसार, धर्म के पक्ष में खड़े होने के लिए लोगों के आचरण में सुधार की आवश्यकता है।

भागवत ने भारतीय समाज को यह विश्वास दिलाया कि देश की हस्ती, संतों और ऋषि-मुनियों के आशीर्वाद से अक्षुण्ण रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म की रक्षा और इसका प्रचार करना हर भारतीय का कर्तव्य है। धर्म और अधर्म के बीच इस संघर्ष में केवल ईश्वर प्रदत्त कर्तव्यों का पालन ही भारत को एक स्थिर और सशक्त राष्ट्र बना सकता है।

चित्रकूट यात्रा और संतों का संगम

चित्रकूट के इस दो दिवसीय प्रवास में भागवत ने आयुर्वेदिक उपचार के पंचकर्म पद्धति से उपचार भी कराया और संतों के बीच समय बिताया। कार्यक्रम के दौरान मोरारी बापू और अन्य संतों के साथ Mohan Bhagwat ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “संत मंदिरों में पूजा करते हैं, जबकि संघ के कार्यकर्ता बाहर से सुरक्षा देते हैं।” भागवत का मानना है कि सत्य के समय के आने पर उसका स्वर हमेशा ऊंचा होता है।

कार्यक्रम के दूसरे दिन उन्होंने कहा कि अयोध्या का मंदिर सभी सनातनी अनुयायियों का है। यह सभी को अपनी संस्कृति और धर्म की रक्षा की प्रेरणा देता है। साथ ही, उन्होंने संघ के मिशन 2025 का उल्लेख किया, जिसमें संघ का कार्य गांव-गांव तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

विदेशों तक पहुंचता सनातन धर्म

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने संतों के दिव्य विचारों की सराहना की और कहा कि उनके शब्द कड़वे चूर्ण की तरह जीवन को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के अनुयायी न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी इसका प्रचार कर रहे हैं। सत्य के मार्ग पर डटे रहने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, “असत्य कभी हारता है, सत्य की जीत निश्चित होती है।”

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देश में एकता और राष्ट्रवाद का संदेश

Mohan Bhagwat ने कहा कि प्रत्येक परिवार में राष्ट्रवाद और एकता की भावना को जागृत करना संघ का उद्देश्य है। उन्होंने इसे भारत के सशक्त बनने का मार्ग बताया। कार्यक्रम के दौरान मुरारी बापू ने चित्रकूट की महत्ता पर भी बल दिया और कहा कि चित्रकूट सभी ‘कूटों’ में महान है। कार्यक्रम में उपस्थित संत-महंतों ने धर्म की सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

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