Dimple Yadav Controversy: लखनऊ में एक टीवी डिबेट के दौरान डिंपल यादव पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ समाजवादी पार्टी नेता प्रवेश यादव ने विभूति खंड थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने मौलाना पर IPC और IT एक्ट की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस बीच, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं। बीजेपी जहां सपा और मौलाना पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस ने सपा का बचाव किया है। मामला अब दिल्ली तक तूल पकड़ चुका है।
टीवी डिबेट से भड़का विवाद
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब मानसून सत्र के दौरान सपा सांसद Dimple Yadav और अखिलेश यादव संसद परिसर की मस्जिद में पहुंचे थे। इस घटना पर एक टीवी शो के दौरान मौलाना साजिद रशीदी ने Dimple Yadav के बारे में विवादास्पद टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा, “मस्जिद में दो मोहतरमा आई थीं, एक ने खुद को ढक रखा था,” और इसके बाद उन्होंने डिंपल यादव को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया, जिसने राजनीतिक हलकों में बवाल मचा दिया।
FIR दर्ज, IPC और IT एक्ट की धाराएं लगीं
समाजवादी पार्टी नेता प्रवेश यादव ने इस टिप्पणी को लेकर विभूति खंड थाने में शिकायत दर्ज कराई। इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह ने बताया कि मौलाना पर IPC की धाराएं 79, 196, 197, 299, 352, 353 और IT एक्ट की धारा 67 लगाई गई हैं। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई जारी है।
इस विवाद पर भारतीय जनता पार्टी ने सपा और मौलाना दोनों पर हमला बोला है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मस्जिद को सपा कार्यालय की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है और दिल्ली वक्फ बोर्ड से इमाम को हटाने की मांग की है। वहीं कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने सपा का बचाव करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया।
मौलाना साजिद रशीदी, जो ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, हाल ही में 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं। उनका कहना था कि मुस्लिम समुदाय में भाजपा के प्रति डर की भावना को खत्म करना जरूरी है। ऐसे में डिंपल यादव पर उनकी टिप्पणी को सियासी चश्मे से भी देखा जा रहा है।
अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल
पूरे विवाद के बीच अब तक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। यही चुप्पी विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों के निशाने पर है। सवाल उठ रहे हैं कि जब Dimple Yadav पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की गई, तब पार्टी नेतृत्व ने खुलकर विरोध क्यों नहीं जताया। डिंपल यादव पर की गई मौलाना रशीदी की टिप्पणी अब कानून और राजनीति दोनों के दायरे में जांच का विषय बन चुकी है। भाजपा और कांग्रेस के आमने-सामने आने से सियासी माहौल और गरमा गया है, वहीं अखिलेश यादव की चुप्पी सपा समर्थकों और आलोचकों के बीच नई बहस छेड़ रही है।