हस्तिनापुर ‘श्रापित’ या मंत्री की कुर्सी खतरे में? दिनेश खटीक के विवादित बोल ने बढ़ाई भाजपा की टेंशन!

योगी सरकार के मंत्री दिनेश खटीक ने हस्तिनापुर को "श्रापित भूमि" बताकर वहां से दोबारा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। महाभारत के इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने सार्वजनिक मंच से इस सीट को छोड़ने की इच्छा जताकर उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल पैदा कर दी है।

Dinesh Khatik

Dinesh Khatik Hastinapur Cursed Land: उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया जब योगी सरकार के जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने अपनी ही विधानसभा, हस्तिनापुर को ‘श्रापित भूमि’ करार दे दिया। मेरठ के खरखौदा में एक कार्यक्रम के दौरान खटीक ने साफ कहा कि वे इस ‘अभिशप्त’ धरती से तीसरी बार विधायक नहीं बनना चाहते। महाभारत काल की रंजिशों और श्रापों का हवाला देते हुए मंत्री ने संकेत दिया कि वे अब इस सीट से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भाजपा कम मार्जिन वाली सीटों पर कड़ाई बरत रही है। हस्तिनापुर की ऐतिहासिक गरिमा पर मंत्री के इस ‘श्रापित’ वार ने न केवल विपक्ष को मौका दे दिया है, बल्कि खुद भाजपा के भीतर भी खलबली मचा दी है।

महाभारत के ‘श्राप’ का खौफ या हार का डर?

Dinesh Khatik ने अपने संबोधन में धार्मिक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा, “मैं भागवत और पुराण पढ़ता हूँ, मुझे पता है महाभारत क्या है। मैं इस श्रापित भूमि से तीसरी बार एमएलए नहीं बनना चाहता।” हालांकि, जानकारों का मानना है कि इस ‘आध्यात्मिक डर’ के पीछे चुनावी गणित भी हो सकता है। 2022 के चुनाव में खटीक महज 7,312 वोटों के मामूली अंतर से जीते थे। उनकी जीत का अंतर सिर्फ 3.18% था, जो भाजपा आलाकमान के लिए चिंता का विषय रहा है।

पार्टी की सख्ती और ‘SIR’ का दबाव

हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कम वोटों के अंतर (Low SIR) वाली सीटों पर विधायकों को चेतावनी दी थी। सूत्रों के अनुसार, जिन विधायकों की स्थिति कमजोर है, उनके टिकट कटने की तलवार लटक रही है। ऐसे में Dinesh Khatik का हस्तिनापुर को ‘श्रापित’ बताना, खुद को सुरक्षित सीट पर शिफ्ट करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।

चुनाव 2022 के आंकड़े एक नज़र में:

  • दिनेश खटीक (BJP): 1,07,587 वोट

  • योगेश वर्मा (SP): 1,00,275 वोट

  • जीत का अंतर: 7,312 (3.18%)

क्या पार्टी खटीक की इस ‘धार्मिक दलील’ को स्वीकार कर उन्हें नई सीट देगी, या यह बयान उनके राजनीतिक करियर पर भारी पड़ेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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