Dog Bite Cases Rise in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में जनवरी से जुलाई के बीच कुत्तों के काटने के मामले तेजी से बढ़े हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इन सात महीनों में कुल 28 लाख 50 हजार 744 लोगों को कुत्तों ने काटा। इनमें से 22 लाख 50 हजार 218 मामले आवारा कुत्तों के हैं, जबकि 1 लाख 51 हजार 627 लोग पालतू कुत्तों के शिकार बने।
सिर्फ कुत्ते ही नहीं, दूसरे जानवर भी बने खतरा
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि इस अवधि में सिर्फ कुत्ते ही नहीं, बल्कि अन्य जानवरों ने भी लोगों को काटा। कुल मिलाकर 33 लाख 83 हजार 712 लोग अलग-अलग जानवरों के हमले का शिकार हुए। इसमें कुत्ते, बिल्लियां, बंदर, सियार, लोमड़ी और घोड़े के मामले शामिल हैं।
डॉ. पंकज सक्सेना के अनुसार, बिल्लियों ने 1 लाख 51 हजार 627 लोगों को काटा। वहीं, बंदरों के काटने के 3 लाख 40 हजार 584 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा, सियार, लोमड़ी और घोड़ों के काटने से 47 हजार 757 लोग प्रभावित हुए।
रैबीज से मौत के मामले
हालांकि इतने बड़े आंकड़ों के बावजूद जनवरी से जुलाई तक रैबीज से केवल 2 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सभी बड़े अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध हैं।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आर.पी. सिंह सुमन ने बताया कि केवल महिला अस्पतालों में रैबीज इंजेक्शन की सुविधा नहीं है, क्योंकि वहां आमतौर पर लोग इस समस्या के इलाज के लिए नहीं जाते।
सरकार की तैयारी और चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। सबसे ज्यादा मामले स्ट्रीट डॉग्स के काटने से जुड़े हैं। इसलिए सरकार ने रैबीज टीकों की आपूर्ति को मजबूत करने और लोगों को समय पर इंजेक्शन दिलाने की व्यवस्था पर जोर दिया है।
डॉक्टरों ने लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी जानवर ने काट लिया तो तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचकर रैबीज का इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। इलाज में देरी जानलेवा साबित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में जानवरों के काटने के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। खासकर कुत्तों और बंदरों से लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। समय पर टीकाकरण और जागरूकता ही रैबीज से बचने का एकमात्र तरीका है।