पीलीभीत। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला बांसुरी उद्योग के लिए दुनिया में मशहूर है। इस बांसुरी नगरी का नाम पीलीभीत कैसे पड़ा, इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। पीलीभीत, बरेली जिले का हिस्सा था। साल 1879 में पीलीभीत जिला बना। जिला गठन के बाद इसका मुख्यालय और मुख्य शहर पीलीभीत हो गया। पीलीभीत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। शहर की सीमा एक तरफ उत्तराखंड राज्य से जुड़ी है तो दूसरी तरफ बरेली से।
2022 के विधानसभा चुनाव में पीलीभीत के दो मौजूदा विधायकों के टिकट कटे हैं। बरखेड़ा में विधायक किशनलाल राजपूत की जगह स्वामी प्रवक्ता नंद को उम्मीदवार बनाया गया है। बीसलपुर में मौजूदा विधायक राम सरन वर्मा की जगह उनके बेटे विवेक वर्मा को मैदान में उतारा गया है।
पीलीभीत में चार विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें पीलीभीत सदर, पूरनपूर, बीसलपुर औऱ बरखेड़ा। पीलीभीत के बाघ भी देश-विदेश में अलग पहचान रखते हैं । इसलिए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूरे शहर में बांसुरी, गन्ना और बाघ के प्रतीक लगे हैं जो शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
पूरनपूर विधानसभा
2007 में बसपा के उम्मीदवार अरशद खां पूरनपुर विधानसभा से विधायक चुने गए थे। उस साल प्रदेश में बसपा की सरकार बनी थी औऱ मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं। वहीं 2012 में यह सीट आरक्षित हो गई और यहां सपा के पीतमराम ने बीजेपी के बाबाराम को हराया। 2017 के चुनाव में यहां से बीजेपी उम्मीदवार बाबूराम ने सपा के पीतम राम को हराया औऱ विधायक बनने में कामयाब रहे।
पूरनपूर का मुद्दा
- किसानों की समस्या अहम
- अवारा पशु से लोग परेशान
- महंगाई और बेरोजगारी
- गन्ना किसानों का भुगतान नहीं हुआ
बीसलपुर विधानसभा
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की बीसलपुर विधानसभा सीट चार नदियों माला नदी, कटना नदी, देवहा नदी और खन्नौत नदी की लहरों से घिरी हुई है । बीसलपुर में शाहजहांपुर और बरेली की सरहद भी लगती हैं। 2017 में यहां से भाजपा के रामसरन वर्मा ने कांग्रेस के अनीस अहमद को हराया। 2012 में भी भाजपा के रामसरन वर्मा ने कांग्रेस के अनीस अहमद को हराया। 2022 में इस सीट से बीजेपी ने विवेक वर्मा पर दांव लगाया है।
बिसलपुर का मुद्दा
- अवारा पशु से जनता परेशान
- सड़कों की समस्या
- महंगाई और बेरोजगारी
- पानी और बिजली की कमी से किसानों को परेशानी
बरखेड़ा विधानसभा
2017 विधानसभा चुनाव में चली मोदी लहर में विपक्षी दलों के लगभग सभी किले ढह गए । पीलीभीत जिले में भी भाजपा ने चारों विधानसभा सीटों पर अपना परचम लहरा दिया था। यहां से बीजेपी प्रत्याशी किशन लाल राजपूत ने सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा को हराया था । 2012 में सपा के हेमराज वर्मा ने बीजेपी के जयद्रथ को हराया।
बरखेड़ा का मुद्दा
- महंगाई और बेरोजगारी
- अवारा पशु से ग्रामीण परेशान
- गन्ना भुगतान समय से नहीं होता
पीलीभीत सदर
यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव को लेकर चौथे चरण में पीलीभीत जिले में होने वाले मतदान से पहले सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है। उसी को लेकर सदर सीट से 2017 के बीजेपी विधायक सजंय सिंह गंगवार को बीजेपी ने दोबारा उम्मीदवार बनाया है। 2017 में बीजेपी के संजय गंगवार ने सपा के रियाज अहमद को हराया था।
पीलीभीत का मुद्दा
- गन्ना भुगतान में देरी
- अवारा पशु से जनता परेशान
- महंगाई से जनता परेशान
2017 और 2022 के चुनाव में काफी फर्क है । 2017 में बीजेपी सत्ताधारी सपा के खिलाफ कई मामलों को लेकर हमलावर थी और मोदी इफेक्ट बीजेपी के साथ था । सपा के साथ उस दौरान एंटी इंकम्बेंसी भी थी । इस बार बीजेपी सत्ता में है और सत्ता के खिलाफ सपा कई मामलों को लेकर हमलावर है। बीजेपी को जहां अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहारने की चुनौती होगी, वहीं सपा सत्ता विरोधी लहर को भुना कर अपना खोया साख पाने की कोशिश करेगी । अंतिम फैसला जनता जनार्दन 23 फरवरी को करेगी और जिले के माननीयों का अगले पांच साल के लिये सियासी किस्मत तय करेगी ।
(अंशिका पाठक)