Etah samosas bribe: Etah में एक 14 वर्षीय नाबालिग के साथ कथित बलात्कार के एक जघन्य मामले में एक चौंकाने वाला मोड़ आया है, जहां जांच अधिकारी पर छह समोसे की रिश्वत लेकर मामले में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दाखिल करने का आरोप लगाया गया है। पीड़िता के पिता द्वारा दायर एक विरोध याचिका (प्रोटेस्ट पिटीशन) के बाद कोर्ट ने Etah पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। यह घटना जलेसर थाना क्षेत्र की है, जहां 1 अप्रैल 2019 को एक किशोरी के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया गया था। इस गंभीर आरोप ने न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह उजागर किया है कि कैसे कुछ अधिकारियों द्वारा मामूली प्रलोभन के लिए न्याय से समझौता किया जा सकता है। ऐसे गंभीर मामलों में भी इस तरह का दुर्व्यवहार एक सभ्य समाज के लिए अत्यंत निंदनीय है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, जलेसर थाना क्षेत्र के एक गांव में 14 वर्षीय किशोरी 1 अप्रैल 2019 को स्कूल से लौट रही थी। उसी दौरान गांव के वीरेश ने उसे पकड़ लिया और गेहूं के खेत में ले जाकर उसके साथ अश्लील हरकतें कीं। किशोरी के चिल्लाने पर दो लोग मौके पर पहुंचे, जिन्हें देखकर वीरेश ने जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गया। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू से ही एकतरफा रवैया अपनाया और रिपोर्ट दर्ज नहीं की। मजबूरन, किशोरी के पिता को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा, जिसके आदेश पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
अंतिम रिपोर्ट और समोसे का आरोप
बलात्कार मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए 30 दिसंबर 2024 को कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी। इस पर पीड़िता के पिता ने 27 जून 2025 को एक विरोध याचिका दायर की। पिता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने मौके पर मौजूद चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए, और पीड़िता ने अपने बयान में दुष्कर्म की बात कही थी, फिर भी मामले की जांच गलत तरीके से की गई।
पिता ने विशेष रूप से यह आरोप लगाया कि आरोपी की समोसे की दुकान है, और जांच अधिकारी ने वहां पहुंचकर “महज 6 समोसे लेकर” मामले की जांच “निराधार तथ्यों के आधार पर” कर दी। अंतिम रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने यह भी लिखा कि किशोरी ने वीरेश से उधार समोसे मांगे थे, और समोसे न देने के कारण विवाद हुआ, जिसके चलते वीरेश के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया गया।
कोर्ट का बड़ा फैसला
सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान विशेष जज पॉक्सो कोर्ट Etah नरेंद्र पाल राणा ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया। कोर्ट ने मामले को एक परिवाद (शिकायत) के रूप में दर्ज कर लिया है, जिसका अर्थ है कि अब कोर्ट स्वयं मामले की जांच करेगी और सबूतों का आकलन करेगी। यह फैसला पीड़िता और उसके परिवार के लिए एक बड़ी राहत है, और यह न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को बहाल करने में मदद करेगा, विशेषकर ऐसे मामलों में जहां पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं। इस घटना ने एक बार फिर से जांच एजेंसियों की जवाबदेही और पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित किया है।