Fake news laws, Ashutosh Agnihotri/नोएडा: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या बन गई है, जो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी नुकसान पहुंचा सकती है। यूपी में अब फेक न्यूज फैलाने वालों से योगी सरकार सख्ती से निपटने जा रही है. गुरुवार को वाराणसी में कानून व्यवस्था की समीक्षा के दौरान सीएम योगी ने इसके लिए अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए.
सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर विद्वेष फैलाने वालों से सख्ती से निपटें#UPCM @myogiadityanath ने वाराणसी में पुलिस अधिकारियों से कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक अकाउंट बनाकर माहौल खराब करने वालों पर पैनी नजर रखें, ऐसे लोगों से सख्ती से निपटें।#NayeBharatKaNayaUP pic.twitter.com/8CBrWMhurP
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) July 18, 2025
लोकल इंटेलीजेंसी से होगी मजबूत निगरानी
सीएम योगी ने कहा कि यूपी में फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट़सएप ट़िवटर पर लगातार फेक एकाउंट बनाने की शिकायतें सामने आ रही हैं. कावंड़ यात्रा में माहौल खराब करने के लिए वेश बदलकर लोग आ रहे हैं, वे भगवा कपड़े पहनते माहौल खराब करते हैं और अल्लाह के नारे लगाते हैं. कावंडि़यों को आतंकियों के रूप में पेश करने का माहौल बनाया जाता है. यह तो केवल उदाहरण हैं, तमाम प्लेटफार्म पर ऐसे फेक एकाउंट मौजूद हैं जिनसे यूपी का माहौल खराब किया जा रहा है. अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे एकांउट की निगरानी करें, शरारती तत्वों को पहचानें और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.
साइबर सेल और एलआइयू करें सक्रिय
अधिकारियों से सीएम ने कहा कि लोकल इंटेलीजेंसी जितनी मजबूत होगी निगरानी तंत्र भी उतना बेहतर होगा. जिला स्तर पर साइबर सेल को दुरुस्त किया जाए. तकनीकी संस्थानों और इनपुट के आधार पर खुराफातियों को चिह़नित करें और उनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई करें कि दोबारा भूलकर भी फेक न्यूज फैलाने का प्रयास ये लोग न करें..
हाल में सामने आए फेक न्यूज़ के प्रमुख मामले
अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश में फेक न्यूज़ के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मामले निम्नलिखित हैं :
- ब्राह्मण हत्याओं की फेक खबरें: उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण हत्याओं को लेकर कई फेक खबरें फैलाई गईं। इनमें से कुछ मामलों में तो पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों को गिरफ्तार भी किया।
उदाहरण के लिए:- सीतापुर में कमलेश मिश्रा की हत्या के मामले में बताया गया कि यह हत्या तंत्र-मंत्र में पुत्र की प्राप्ति न होने से नाराज महिला ने साथियों के साथ मिलकर की थी।
- प्रभात मिश्र की हत्या प्रापर्टी विवाद के कारण उसके चाचा ने की थी।
- अशोक पाराशर की हत्या पुरानी दुश्मनी और लूट की मंशा से की गई थी।
- योगी सरकार में ब्राह्मणों पर अत्याचार की फेक खबरें: योगी सरकार में ब्राह्मणों पर अत्याचार की खबरें भी फेक थीं। इनमें से कुछ मामलों में जांच के बाद पता चला कि हत्याएं प्रापर्टी विवाद, प्रेम प्रसंग या अन्य कारणों से हुई थीं।
- जातिगत नफरत फैलाने के लिए फेक खबरें: उत्तर प्रदेश में जातिगत नफरत फैलाने के लिए भी फेक खबरें फैलाई गईं। इनमें से कुछ मामलों में पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया।
फेक न्यूज़ की पहचान करने के तरीके
- स्पेलिंग मिस्टेक: यदि किसी संदेश या वेबसाइट के लिंक में स्पेलिंग मिस्टेक है, तो उसके Fake news होने की संभावना अधिक होती है।
- स्रोत की जांच: किसी भी चौंकाने वाले संदेश को बिना सोचे-समझे या उसकी वास्तविकता चेक किए बिना फॉरवर्ड न करें।
- फोटो और वीडियो की जांच: गूगल रिवर्स इमेज से फोटो की वास्तविकता पता की जा सकती है।
- इंटरनेट पर सर्च: अगर किसी मैसेज कंटेंट पर संदेह है, तो उसके बारे में इंटरनेट पर सर्च करें और देखें कि क्या किसी भरोसेमंद वेबसाइट पर उस बारे में कोई जानकारी है या नहीं।
- धार्मिक या क्षेत्र विशेष की भावनाएं भड़काने वाले मैसेज: ऐसे मैसेज फर्जी होते हैं और हिंसा फैलाने के लिए साजिश के तहत वायरल किए जाते हैं।
Fake news के प्रभाव
- सामाजिक तनाव: फेक न्यूज़ से सामाजिक तनाव बढ़ सकता है और लोगों के बीच नफरत फैल सकती है।
- राजनीतिक प्रभाव: फेक न्यूज़ चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और पैटर्न को एक तरफ स्थानांतरित कर सकती है।
Fake news को रोकने के लिए कानून
- भारत: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने Fake news और अफवाह फैलाने को अपराध की श्रेणी में माना है और इसके लिए आईपीसी की धारा 505 और आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है।
- मलेशिया: फेक न्यूज़ फैलाने के लिए 50000 मलेशियन Ringits का फाइन या 6 साल तक की जेल की सजा है।
- ऑस्ट्रेलिया: टेररिज्म, रेप, मर्डर और अन्य गंभीर अपराध से जुड़े कंटेंट को सोशल मीडिया से हटाने में नाकाम रहने पर टेक एक्जीक्यूटिव के लिए 3 साल तक की सजा और कंपनी के टर्नओवर का 10 प्रतिशत पेनेल्टी के रूप में लिया जाता है।
- फ्रांस: कोर्ट के पास किसी भी नेटवर्क पर चल रही न्यूज को ऑफ-एयर करने का अधिकार है।
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