अविमुक्त पाण्डेय, महाराजगंज। जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है यहां जिस गुमशुदा बेटी की हत्या के आरोप में पिता और भाई ने लगभग 14 महीना जेल में बिताए, वह लड़की बिहार के बगहा में जिंदा मिल गई। जिन लोगों पर लड़की के अपहरण करने का आरोप था, पुलिस विवेचना में वह बरी हो चुके हैं। पुलिस और दबंगों के डर से सहमा परिवार अब भी सामने आने का साहस नहीं जुटा पा रहा।
डेढ़ साल पुराना मामला, पीड़ित को ही भेज दिया था जेल
तकरीबन डेढ़ साल पुराना यह मामला घुघली थाने के पोखर भिंडा गांव का है। 21 जून 2023 को यहां के संजय दुसाध की बेटी गांव के ही एक व्यक्ति के घर काम करने गई थी, लेकिन घर नहीं लौटी। पिता ने गांव के ही तीन लोगों के विरुद्ध बेटी को अगवा करने का मुकदमा दर्ज कराया। विवेचना के दौरान पुलिस को निचलौल नहर से एक लड़की का शव मिला। उसे संजय की लापता बेटी बताते हुए पुलिस ने पिता और भाई पर हत्या का आरोप तय कर दोनों को जेल भेज दिया। जिन लोगों के विरुद्ध अपहरण का मुकदमा दर्ज था, पुलिस ने उन्हें बरी कर दिया। पुलिस की केस डायरी में इसका जिक्र है।
मामले में पुलिस ने कर दिया पीड़ितों के साथ खेल
पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया है कि मुकदमें में नामित अभियुक्तों का नाम गायब करके संजय एवं उसके पुत्र अम्बरीश उर्फ सूरज को हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर दिया गया इतना ही नहीं तत्कालीन थाना प्रभारी ने पिता पुत्र का नाम प्रकाश में लाकर हत्या की धारा आईपीसी की बढ़ोत्तरी कर दी गई। 26 जुलाई 2023 को प्रार्थी एवं प्रार्थी के पुत्र अम्बरीश उर्फ सूरज को जेल भेज दिया गया। दौरान विवेचना प्रार्थी, प्रार्थी की पत्नी एवं पुत्र सूरज की ओर निरन्तर कहा जाता रहा कि यह शव हमारी पुत्री प्रीति का नहीं है, लेकिन पुलिस नहीं मानी।
जेल से छूटने के बाद की तलाश, बेटी जिन्दा मिली
बेटी की हत्या के आरोप में जेल में बंद पिता व भाई को हाईकोर्ट से बीते चार अक्तूबर को जमानत मिली। चौदह माह सात दिन बाद दोनों जेल से बाहर आए और बेटी की खोजबीन शुरू की। इस दौरान पता चला कि किशोरी बिहार के पश्चिमी चम्पारण जिला के कैलाश नगर बगहा में है। पिता और भाई बेटी को वहां से घर लाए। 17 दिसंबर को जिला जज के कोर्ट में किशोरी शपथ पत्र के साथ पेश हुई और बयान दर्ज कराया है। । बताया कि वह जिंदा है। पिता ने इस मामले में अपने और बेटे के पर दर्ज हत्या का केस खत्म कर मामले की गहनता से जांच की मांग के लिए न्याय से गुहार की लगाई है।
सिस्टम की मार ने जिन्दगी तबाह कर दी, कौन है जिम्मेदार ?
जरा कल्पना करिए, जिसकी बेटी और जिसकी बहन लापता हो, उसी की हत्या के जुर्म में पिता और भाई को जेल काटनी पड़े तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी। फर्जी तरीके से मामले में फंसाने वाले पुलिसकर्मी मौज काट रहे हैं जबकि पीड़ित पक्ष अदालत की चौखट पर चप्पलें घिस रहा है। क्या ये सिस्टम इन दोनों के खोये सम्मान को वापस दिला पाएगा। जवाब होगा बिल्कुल नहीं क्योंकि अभी तो पिता-पुत्र को खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए और तारीखों का इंतजार करना होगा।