Fire In Mahakumbh : कौन है ‘वो’ जिसने लगाई महाकुंभ में आग, तांडव ने 71 साल पुरानी त्रासदी की दिला दी याद

Fire broke out in Prayagraj Mahakumbh: महाकुंभ में अचानक आग लग जाने से हड़कंप मच गया, फायर बिग्रेड के जरिए आग पर काबू पाया गया, कुछ इस तरह से 500 लोगों की जान बचाई गई।

प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। A massive fire broke out in Prayagraj Mahakumbh संगमनगरी में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है। दूनिया के सबसे बड़े पर्व पर बीते सात दिनों में सात करोड़ से अधिक भक्तों ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई। प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुंभ को लेकर जबरदस्त व्यवस्था की हैं। जिसके कारण तीर्थराज में आने वाले भक्तों को घर जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। हालांकि रविवार रविवार शाम करीब साढ़े चार बजे महाकुंभ मेला परिसर में आग लग गई। शास्त्री ब्रिज के पास सेक्टर 19 में गीता प्रेस के कैंप में ये आग लगी। गीता प्रेस के 180 कॉटेज आग में जल गए। अफसरों के मुताबिक, गीता प्रेस की रसोई में छोटे सिलेंडर से चाय बनाते समय सिलेंडर लीक हो गया और आग लग गई। इसके बाद 2 सिलेंडर ब्लास्ट हो गए। तत्काल आग पर कापू पा लिया गया। अग्निकांड में किसी भी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।

500 लोगों की बचाई गई जान

प्रयागराज महाकुंभ में रविवार की शाम आग लगने से हड़कंप मच गया। आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियां भेजी गई थीं, जिन्होंने आग पर एक घंटे में काबू पाया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटनास्थल पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सीएम योगी को फोन कर घटना की पूरी जानकारी ली। मेला सीएफओ (चीफ फायर ऑफिसर) प्रमोद शर्मा ने बताया कि आग से करीब 500 लोगों को बचाया गया है। सीएफओ ने बताया कि खाना बनाने वक्त सिलेंडर लीक हो गया और जिसके कारण आग लग गई। तत्काल दमकल के जरिए आग पर कापू पा लिया गया। इसबीच किसी ने अग्निकांड का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिसके बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर अरोप लगाए।

चाय बनाते वक्त लगी आग

गीता प्रेस की रसोई में छोटे सिलेंडर से चाय बनाते समय सिलेंडर लीक होने से आग लगने की बात सामने आई है। आग लगने से रसोई में रखे 2 गैस सिलेंडर फट गए और 40 घास-फूस की झोपड़ियां, संजीव प्रयागवाल के टेंट जल गए। आग के दौरान भागते समय जसप्रीत पैर में चोट लगने से घायल होकर अचेत हो गए। उन्हें इलाज हेतु एंबुलेंस से महाकुंभ मेला के केंद्रीय चिकित्सालय में लाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद स्वरूपरानी मेडिकल कॉलेज प्रयागराज भेज दिया गया है। आग लगने से टेंट में रखे दैनिक उपयोग की वस्तुएं, बिस्तर, चारपाई, कंबल, कुर्सी आदि जल कर नष्ट हो गए।

इन्हें किया गया तैनात

महाकुंभ नगरी में फायर ऑपरेशंस के लिए एडवांस्ड फीचर वाले 4 आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर तैनात की गई हैं। इनमें वीडियो-थर्मल इमेजिनिंग जैसा एडवांस सिस्टम है। इसका इस्तेमाल बहुमंजिली और ऊंचाई वाले टेंट की आग बुझाने के लिए किया जाता है। एनडल्यूटी 35 मीटर की ऊंचाई तक आग बुझा सकती है। महाकुंभ मेला क्षेत्र को फायर फ्री बनाने के लिए यहां 350 से ज्यादा फायर ब्रिगेड, 2000 से ज्यादा ट्रेंड मैनपावर, 50 अग्निशमन केंद्र और 20 फायर पोस्ट बनाए गए हैं। अखाड़ों और टेंट में फायर प्रोटेक्शन इक्विपमेंट लगाए गए हैं।

आग बुझाने का सशक्त माध्यम

महाकुंभ में आग पर कापू पाने के लिए ऑल टेरेन व्हीकल को तैनात किया गया है। ये इलेक्ट्रिक चार्ज अग्निशमन उपकरण है। ये रेतीली धरती पर तेज दौड़ने के साथ आग बुझाने का सशक्त माध्यम है। इसके अलावा फायर रोबोट भी मुस्तैद है। इसका नियंत्रण अग्निशमन कर्मी के पास रहता है। आग लगने पर जहां व्यक्ति नहीं पहुंच सकता, ये वहां जाकर आग बुझाने में सक्षम है। मल्टीपरपज हैंड कंट्रोल ब्रांच को भी यहां पर तैनात किया गया है। इससे आग लगने वाले मुख्य बिंदु और तापमान अधिक बढ़ने पर फव्वारा मार लेते हैं। आग अग्निशमन कर्मी की ओर आ रही हो अंब्रेला जैसा पानी का फव्वारा बनाकर जसे रोकने की क्षमता रखता है।

एआरटी की संख्या 18

आईसुजू को भी तैनात किया गया है। ये उपकरण जीप जैसा वाहन है। इसमें अग्निशमन से जुड़े सारे उपकरण रखकर कहीं भी ले जाना आसान होगा। इसके अलावा एफक्यूआरवी 70 से अधिक हैं। साढ़े हजार लीटर पानी क्षमता वाले वाटर टेंडर दो दर्जन मंगाए गए हैं। एआरटी की संख्या 18 है। मल्टी डिजास्टर व्हीकल एक है। फोम टेंडर लगभग एक दर्जन आए हैं। एटीवी की संख्या भी आधा दर्जन है। प्रदेश सरकार ने फायर बोट मुहैया कराए हैं, जो नावों में आग लगने में जल के अंदर जाकर बुझाएंगे।

1954 में भगदड़ में 800 लोगों की गई थी जान

महाकुंभ 2024 से पहले 1954 में प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन हुआ था। ये आजाद भारत का पहला कुंभ था। 1954 का कुंभ मेला भारत के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी, लेकिन इसे एक त्रासदी के रूप में भी याद किया जाता है। कुंभ मेले की यह त्रासदी 3 फरवरी 1954 को इलाहाबाद में हुई थी। मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े थे। यहां श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई, जिसकी वजह से लोग नदी में डूबकर या तो कुचलकर मर गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस भगदड़ 800 लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे।

हाथी के चलते हुआ था हादसा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू संगम क्षेत्र में आए थे। उसी दिन संगम क्षेत्र में एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण हादसा हुआ था। तभी से कुंभ में हाथी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। सिर्फ इतना ही नहीं, देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ही कुम्भ के प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसी वजह से आज भी कुम्भ, महाकुम्भ, अर्द्धकुम्भ के बड़े स्नान पर्वों के दिन वीआईपी के जाने पर रोक है।

2013 के कुभ में 36 लोगों की हुई थी मौत

1954 के बाद साल 2013 के कुंभ मेले में भी भगदड़ हो गई थी। प्रयागराज में आयोजित अर्धकुंभ मेले के दौरान, 10 फरवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर, रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी, जिसमें 36 लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए थे। उस वक्त प्रदेश में सपा की सरकार थी। सूबे के सीएम अखिलेश यादव थे। कुंभ की बागडोर आजम खान के हाथों में थी। 1954 और 2013 के बाद 2024 के महाकुंभ में आग लगी। लेकिन सरकार और प्रशासन के बेहतर व्यवस्थाओं के चलते अग्निकांड में एक भी भक्त आग की चपेट में नहीं आया।

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