Nawab Singh Yadav: पूर्व समाजवादी पार्टी के नेता नवाब सिंह यादव के खिलाफ पॉक्सो कोर्ट में गंभीर आरोपों के तहत ट्रायल चलेगा। नवाब सिंह यादव पर 15 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म के प्रयास का आरोप है, और कोर्ट ने पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भरोसेमंद सहयोगी और डिंपल यादव के प्रतिनिधि रहे नवाब पर इन आरोपों ने न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को प्रभावित किया है बल्कि राजनीतिक करियर पर भी काले बादल मंडरा दिए हैं। शासकीय अधिवक्ता नवीन दुबे ने जानकारी दी कि पीड़िता की बुआ और सह आरोपी नीलू यादव के खिलाफ भी आरोप तय किए गए हैं। मामले में ट्रायल की शुरुआत 12 नवंबर से होगी।
आरोपों पर कोर्ट का रुख
कन्नौज पुलिस के मुताबिक, नवाब सिंह यादव को एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बताया कि यूपी 112 पर रात करीब डेढ़ बजे आई एक कॉल के बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। लड़की ने आरोप लगाया कि उसके साथ मारपीट की गई और उसे शारीरिक प्रताड़ना दी गई। इन आरोपों के आधार पर पुलिस ने नवाब सिंह यादव पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया, लेकिन उनके वकीलों ने कुछ आरोपों पर आपत्ति जताई थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
सपा का रुख, नवाब की प्रतिक्रिया
सपा ने Nawab Singh Yadav की गिरफ्तारी के बाद उनसे सार्वजनिक तौर पर दूरी बना ली है। सपा के जिला अध्यक्ष कलीम खान ने 12 अगस्त को बयान जारी कर कहा था कि नवाब सिंह यादव पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं हैं। हालांकि, नवाब ने इन आरोपों को पूंजीपतियों की साजिश बताते हुए खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि पीड़िता भी इन आरोपों का खंडन कर चुकी है, लेकिन फिर भी बार-बार मेडिकल जांच की जा रही है।
संपत्ति और राजनीतिक प्रभाव
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान Nawab Singh Yadavको “मिनी मुख्यमंत्री” की उपाधि दी गई थी, और उनका कन्नौज में खासा प्रभाव रहा है। सपा के गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में नवाब सिंह की राजनीतिक पकड़ और आर्थिक साम्राज्य है, जिसमें आलीशान होटल, डिग्री कॉलेज और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति में उनके ऊपर लगे आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा और संपत्ति दोनों पर सवालिया निशान लग गए हैं।
इस मामले का ट्रायल आगामी 12 नवंबर से शुरू होगा, जो नवाब सिंह यादव के राजनीतिक भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।