Azamgarh Home Guard: एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक गैंगस्टर 35 साल से होमगार्ड के रूप में यूपी पुलिस में काम कर रहा था, जबकि उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि किसी से छिपी नहीं थी। यह मामला तब सामने आया, जब आरोपी के भतीजे ने पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद DIG की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ। अब आरोपी को निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
आरोपी नकदू यादव, जो 1984 में हत्या और अन्य आपराधिक घटनाओं में संलिप्त था, 1990 से होमगार्ड के तौर पर रानी की सराय और मेंहनगर थानों में तैनात था। उसे पहले ही कई हत्या, डकैती और गैंगस्टर की कार्रवाइयों के तहत दर्ज किया जा चुका था। फिर भी वह Azamgarh पुलिस महकमे से बचता रहा। उसके भतीजे नंदलाल ने 3 दिसंबर को डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की, जिसमें बताया गया कि उसका चाचा फर्जी तरीके से 35 साल से होमगार्ड की नौकरी कर रहा है। इस शिकायत पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए, और जांच में यह पुष्टि हुई कि आरोपी ने कक्षा 8 का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर 1990 में होमगार्ड की नौकरी प्राप्त की थी।
#Azamgarh #थाना_रानी_की_सराय क्षेत्रान्तर्गत अभियुक्त नन्दलाल उर्फ नकदू द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर होमगार्ड की नौकरी कर रहा था, आरोपी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज, वर्तमान में अभियुक्त उपरोक्त जेल में निरूद्ध है, के सम्बन्ध में #Spazh का आधिकारिक वक्तव्य।@uppolice @News18UP pic.twitter.com/ZCuGWORA4X
— AZAMGARH POLICE (@azamgarhpolice) January 8, 2025
आरोपी का फर्जी दस्तावेज़ और पहचान बदलना
नकदू ने अपनी पहचान बदलने के लिए कूट रचित दस्तावेज तैयार किए और 1990 के पहले तक वह नकदू यादव के नाम से जाना जाता था, लेकिन उसके बाद उसने अपनी पहचान बदलकर नंदलाल यादव रख ली। इस बदलाव के बावजूद, Azamgarh पुलिस और Azamgarh इंटेलिजेंस विभाग ने उसकी फर्जी नौकरी पर संदेह नहीं किया। आरोपी का चरित्र प्रमाण पत्र सितंबर 1992 में हस्ताक्षरित किया गया था, और इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
आजमगढ़ के एसपी हेमराज मीणा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही विभागीय जांच भी की जा रही है कि आरोपी किस प्रकार से पुलिस को धोखा देकर नौकरी करता रहा और पुलिस ने उसे पकड़ने में इतनी देर क्यों की।