Ghaziabad Police viral video: उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस, जो अपराधियों के सटीक निशाने और लगातार होने वाली मुठभेड़ों के लिए ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ मानी जाती है, अपनी ही कार्यप्रणाली के कारण सवालों के घेरे में है। हाल ही में मोदीनगर के निवाड़ी थाने में डीसीपी ग्रामीण सुरेंद्रनाथ तिवारी के औचक निरीक्षण के दौरान एक शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई। निरीक्षण के दौरान जब दो दारोगाओं को उनके शस्त्र खोलकर दोबारा जोड़ने (लोड-अनलोड) के लिए कहा गया, तो वे अपनी सर्विस पिस्टल के मैकेनिज्म में उलझ कर रह गए। सेकंडों में फैसला लेने का दावा करने वाली पुलिस की इस विफलता का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। यह घटना न केवल पुलिस की हथियारों के प्रति दक्षता को उजागर करती है, बल्कि मुठभेड़ों की प्रामाणिकता पर भी संदेह पैदा करती है।
गाजियाबाद के थाना निवाड़ी में #DCP रूरल सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी का निरीक्षण था और निरीक्षण के दौरान उन्होंने हथियार देखने का भी जायजा लिया, इसी दौरान 2023 बैच के एक दरोगा से पिस्तौल का लॉक नहीं खुला, सोचिये यह आधुनिक बताये जाने वाले #UPPolice का हाल है।
@ghaziabadpolice #UPPInNews pic.twitter.com/LWJwc7FRtE— PoliceMediaNews (@policemedianews) December 17, 2025
ट्रेनिंग की खुली पोल
Ghaziabad पुलिस अक्सर मुठभेड़ में अपराधियों के पैरों पर सटीक गोली मारकर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चर्चा में रहती है। लेकिन निवाड़ी थाने की इस घटना ने जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां की है।
घटनाक्रम की मुख्य बातें:
निरीक्षण के दौरान फजीहत: डीसीपी ग्रामीण सुरेंद्रनाथ तिवारी थाने के वार्षिक निरीक्षण पर थे। उन्होंने मानक प्रक्रिया के तहत पुलिसकर्मियों की शस्त्र संचालन क्षमता की जांच की।
हथियार चलाने में असमर्थता: जब दारोगाओं को जमीन पर रखे हथियारों को उठाकर उन्हें चलाने की स्थिति में लाने (लोड करने) को कहा गया, तो दो सब-इंस्पेक्टर पिस्टल के लॉक तक नहीं खोल पाए। काफी मशक्कत के बाद भी वे हथियार को सही तरीके से संचालित करने में विफल रहे।
प्रणाली पर सवाल: यह वीडियो उस दावे को चुनौती देता है जिसमें पुलिस मुस्तैदी और त्वरित कार्रवाई की बात करती है। यदि मुठभेड़ के दौरान अपराधी सामने हो और हथियार इसी तरह धोखा दे जाए, तो पुलिसकर्मी की जान जोखिम में पड़ सकती है।
एनकाउंटर की कहानियों पर संदेह
सोशल मीडिया पर लोग अब Ghaziabad पुलिस की ‘एनकाउंटर कहानियों’ पर तंज कस रहे हैं। सवाल यह है कि जो पुलिसकर्मी शांत वातावरण में डीसीपी के सामने पिस्टल लोड नहीं कर पा रहे, वे अंधेरे और तनावपूर्ण माहौल में अपराधियों के पैरों पर ‘सटीक निशाना’ कैसे लगा लेते हैं?
विवरण | स्थिति |
स्थान | निवाड़ी थाना, गाजियाबाद |
निरीक्षण अधिकारी | डीसीपी ग्रामीण, सुरेंद्रनाथ तिवारी |
विफलता | दो दारोगा पिस्टल लोड-अनलोड नहीं कर सके |
आधिकारिक बयान | प्रेस नोट में सब कुछ ‘सामान्य’ बताया गया |
इस घटना ने विभाग के भीतर हथियारों की नियमित ट्रेनिंग और अभ्यास की कमी को उजागर कर दिया है। कागजी कार्रवाई में तो ट्रेनिंग पूरी दिखाई जाती है, लेकिन असलियत वीडियो के जरिए जनता के सामने आ गई है।










