दरिंदगी झेलने वाली बिटिया को 3 साल बाद मिला इंसाफ, 10 सालों के लिए सलाखों के पीछे गया दरिंदा

Siddharthnagar

Siddharthnagar। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट बीरेन्द्र कुमार की अदालत ने नाबालिग लड़की का अपहरण करके उसके साथ दुष्कर्म करने के अपराध में राजन कुमार गौतम उर्फ पिन्टू पुत्र राम लखन को दस वर्षों के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए उसपर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर उसे छः माह के कठोर कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। वह इटवा थानाक्षेत्र के ग्राम फरेन्दा का निवासी है।

तीन साल पहले वारदात को दिया था अंजाम

घटना 2 अक्टूबर 2021 की है जो इटवा थानाक्षेत्र में घटित हुई थी। अभियोजन के अनुसार एक व्यक्ति ने प्रभारी निरीक्षक थाना इटवा को इस आशय की लिखित तहरीर दिया कि 2 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार शाम सात बजे उसकी नाबालिग 16 वर्षीय लड़की को राजन कुमार उर्फ पिन्टू पुत्र रामलखन, निवासी ग्राम फरेन्दा थाना इटवा बहला-फुसलाकर भगा ले गया है। उसने उसके नाते रिश्तेदार व सगे सम्बन्धी के यहां पता किया, परन्तु कहीं पता नहीं चला। वह लोक-लाज के भय से उस समय नहीं आया और अब हार मानकर तहरीर दे रहा है। पुलिस ने केस दर्ज करके विवेचना किया और विवेचना के बाद अभियुक्त के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया।

गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई अदालती कार्रवाई

न्यायालय ने घटना का संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की। सुनवाई की समाप्ति पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनकर न्यायालय ने पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया। इसके बाद अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों, गवाहों की गवाही, जिरह, चिकित्सकीय परीक्षण रिपोर्ट, आयु प्रमाण पत्र, अन्य सुसंगत दस्तावेजी साक्ष्यों एवं घटना के तथ्यों व परिस्थितियों तथा उसकी गम्भीरता को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त को दोषी करार दिया।

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10 की जेल और 60 हज़ार का जुर्माना लगाया

आरोपी के दोषी करार दिए जाने के बाद कोर्ट ने दस वर्षों के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए उसपर 60 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया। अर्थदण्ड अदा न करने की दशा में उसे 6 माह के अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी। पीड़ित पक्ष की पैरवी राज्य सरकार की तरफ से विशेष लोक अभियोजक पॉस्को एक्ट अधिवक्ता पवन कुमार कर पाठक ने किया। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि क्षतिपूर्ति की धनराशि का 90 फीसदी पीड़िता को दिया जाय। राज्य सरकार की तरफ से पीड़िता क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी है इसके लिए निर्णय की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भेजा जाय।

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