Hamirpur: ‘म्हारी छोरियां छोरो से कम हैं के…?’ आप दंगल फिल्म का यह डायलॉग याद रखेंगे। हाल ही में पेरिस ओलंपिक के फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफिकेशन के बाद कुश्ती फिर से चर्चा में है। गीता और बबीता से लेकर विनेश के कुश्ती के किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन क्या आप उत्तर प्रदेश में एक गांव के बारे में जानते हैं जहां महिलाओं का दंगल होता है?
सास-बहू का दंगल
Hamirpur में अखाड़े के अंदर कुश्ती की परंपरा सालों पुरानी है। लेकिन हमीरपुर में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी दंगल में हिस्सा लेती हैं। हर साल रक्षाबंधन के बाद इस गांव में कुश्ती का आयोजन होता है। साल भर सिर पर घूंघट रखने वाली महिलाएं इस दिन पहलवान बनकर अखाड़े में उतरती हैं और एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देती नजर आती हैं। घर में खाना बनाने वाली महिलाएं अखाड़े में कूद पड़ती हैं। इस दिन हमीरपुर में सास-बहू और बुजुर्ग महिलाओं के बीच दिलचस्प कुश्ती देखने को मिलती है।
हमीरपुर में एक ऐसा गांव है, जहां अखाड़े में लड़ती हैं सास-बहुएं… पहलवानी देखने के लिए लगती है भीड़। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में होने वाली अनोखी कुश्ती में पुरुषों को प्रवेश नहीं मिलता। लाठी-डंडों से लैस महिलाएं उन पर नजर रखती हैं। दंगल वाले दिन पुरुष गांव छोड़ देते हैं।#Dangal pic.twitter.com/5ql9qw0ZPj
— Sakshi (@sakkshiofficial) August 22, 2024
जीतने पर मिलता है इनाम
Hamirpur दंगल में जीतने के लिए महिलाएं तरह-तरह के दांव-पेंच आजमाती हैं। बुजुर्ग महिलाएं ढोल बजाकर इस कुश्ती की शुरुआत करती हैं। इसके बाद महिलाएं एक-एक करके अखाड़े में उतरती हैं और कई राउंड की कुश्ती के बाद प्रतिद्वंद्वी को हरा देती हैं। इस दंगल में जीतने वाली महिला को इनाम भी मिलता है।
पुरुषों के लिए ‘नो एंट्री’
मजेदार बात यह है कि पुरुषों को इस कुश्ती में भाग लेने की अनुमति नहीं है। कुछ महिलाएं अखाड़े के बाहर लाठी-डंडे लेकर खड़ी रहती हैं। वे पुरुषों को अखाड़े से दूर रखने का हर प्रयास करते हैं। गाव के सभी पुरुष महिलाओं की कुश्ती के दौरान गांव छोड़ देते हैं।
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104 साल पुरानी परंपरा
स्थानीय लोगों के अनुसार महिलाओं की कुश्ती की यह परंपरा 104 साल पुरानी है। वर्ष 1920 में हमीरपुर के लोदीपुर निवाड़ा के पुराने बाजार में पहली महिला कुश्ती का आयोजन किया गया था। इस दौरान गांव की महिला प्रधान गिरजा देवी ने दो महिलाओं के बीच कुश्ती का आयोजन कराया था। तब से गांव में यह परंपरा चली आ रही है। रक्षाबंधन के बाद हर साल गांव में महिलाओं की कुश्ती जरूर होती है।