Hathras incident: हाथरस कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है, जिसमें सत्संग के आयोजक भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि को क्लीन चिट मिल गई है। हालांकि, सरकार ने अभी तक इस रिपोर्ट के तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस जांच को सही ठहराया है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ अहम सुझाव भी दिए हैं।
यह घटना 2 जुलाई 2024 को हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फूलराई गांव में हुई थी, जब भोले बाबा के सत्संग के दौरान Hathras incident भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के कारणों की जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित किया गया था। आयोग में रिटायर्ड आईपीएस भावेश कुमार सिंह और रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव को भी शामिल किया गया था।
न्यायिक जांच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- भोले बाबा को नहीं ठहराया गया जिम्मेदार: रिपोर्ट में कहा गया है कि भगदड़ में भोले बाबा की कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें क्लीन चिट दी गई है।
- पुलिस जांच को सही बताया गया: आयोग ने पुलिस की ओर से की गई जांच को वैध मानते हुए उस पर कोई सवाल नहीं उठाया है।
- आयोजकों की लापरवाही उजागर: रिपोर्ट में आयोजकों पर भीड़ प्रबंधन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है।
- स्थानीय प्रशासन की चूक: एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रशासन की ओर से पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे, जिससे स्थिति बिगड़ी।
- साजिश की पुष्टि नहीं: आयोग को इस हादसे के पीछे किसी साजिश के प्रमाण नहीं मिले हैं।
बाबा का बयान और सरकार की प्रतिक्रिया
भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि ने इस घटना पर कहा था, “होनी को कौन टाल सकता है, जो आया है, उसे एक दिन जाना ही है।” उनके इस बयान को लेकर पहले काफी विवाद हुआ था।
राज्य सरकार ने इस Hathras incident घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एसआईटी और न्यायिक आयोग का गठन किया था। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन की चूक की ओर इशारा किया और आयोजकों को दोषी ठहराया।
सरकार अब इस Hathras incident रिपोर्ट को विधानसभा में पटल पर रखने की तैयारी कर रही है। हालांकि, पीड़ित परिवारों को अभी भी इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।