IAS Rinku Singh Rahi Video: शाहजहांपुर के पुवायां तहसील में एक अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला, जब नवागत एसडीएम रिंकू सिंह राही ने वकीलों के विरोध के बीच स्वयं कान पकड़कर उठक-बैठक की। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया। कोई इसे अफसर की विनम्रता बता रहा है तो कोई प्रशासन की बेबसी। लेकिन यही अफसर वो हैं जिन्होंने 2009 में 100 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश कर इतिहास रच दिया था। उस समय उन पर जानलेवा हमला भी हुआ था। आखिर कौन हैं ये अधिकारी, जिनकी ईमानदारी और साहस की मिसाल दी जाती है, लेकिन आज उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी?
उत्तर प्रदेश-
शाहजहांपुर में तैनात ट्रेनी IAS / SDM पुंवाया रिंकू सिंह ने उठक बैठक लगाकर वकीलों से माफ़ी माँगी, तीन दिन से वकीलों और SDM में तनातनी चल रही थी !! pic.twitter.com/9cNQMQtog9
— Gaurav Singh Sengar (@sengarlive) July 29, 2025
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
पुवायां तहसील में तैनात एसडीएम रिंकू सिंह राही का वीडियो मंगलवार को वायरल हुआ, जिसमें वे वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करते नजर आए। दरअसल, उन्होंने तहसील परिसर का निरीक्षण करते समय चार लोगों को खुले में पेशाब करने पर उठक-बैठक की सजा दी थी। इसी बात को लेकर वकील भड़क गए और धरने पर बैठ गए। हालात बिगड़ते देख एसडीएम राही खुद धरनास्थल पहुंचे और माफी स्वरूप सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक की।
कौन हैं रिंकू सिंह राही?
IAS Rinku Singh का नाम प्रशासनिक ईमानदारी और दिलेरी के लिए जाना जाता है। 2004 में प्रवर अधीनस्थ सेवा से समाज कल्याण अधिकारी बने रिंकू सिंह ने 2009 में मुजफ्फरनगर में 100 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था। इसके बाद उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें उन्हें 6-7 गोलियां मारी गई थीं। वे बाल-बाल बचे, लेकिन उनका जबड़ा और एक आंख बुरी तरह जख्मी हो गई थी। लंबे इलाज के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
संघर्ष की मिसाल बने
घोटाले के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए राही ने RTI का सहारा लिया और 2012 में लखनऊ निदेशालय के बाहर अनशन भी किया। अपने संघर्ष के बीच उन्होंने UPSC की तैयारी जारी रखी और 2022 में IAS बने। इससे पहले वे मथुरा में तैनात थे और हाल ही में उनका तबादला शाहजहांपुर के पुवायां में हुआ है।
विवाद के बीच क्या बोले अफसर?
विवाद के बाद IAS Rinku Singh ने बताया कि जब वह वकीलों के धरने पर पहुंचे, तो उन्होंने पूछा कि “क्या आप खुद उठक-बैठक लगाएंगे या केवल आम लोग ही लगाएंगे?” इस सवाल पर उन्होंने खुद कान पकड़कर उठक-बैठक कर दी। उन्होंने कहा कि तहसील में स्वच्छता की जिम्मेदारी उनकी है, इसलिए वे पीछे नहीं हट सकते।
IAS Rinku Singh का यह कदम जहां कुछ लोगों के लिए प्रशासन की विनम्रता का प्रतीक बना, वहीं यह भी दिखाता है कि ईमानदार अफसरों को भी कभी-कभी हालात के आगे झुकना पड़ता है। उनके जीवन की कहानी आज भी युवाओं को लड़ने, टिके रहने और जीतने की प्रेरणा देती है।