Jalalabad Renamed: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर ज़िले में स्थित जलालाबाद का नाम अब बदलकर परशुरामपुरी कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इस बदलाव को मंजूरी दे दी है और इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा गया है।
गृह मंत्रालय का पत्र
मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर विचार किया गया और भारत सरकार को जलालाबाद का नाम बदलकर “परशुरामपुरी” करने पर कोई आपत्ति नहीं है। पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया कि नए नाम की सही वर्तनी देवनागरी, रोमन और क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी जाए और इसके बाद आवश्यक राजपत्र अधिसूचना जारी की जाए।
किसने की थी अनुशंसा?
इस प्रस्ताव पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी अपनी सहमति दी थी। मंत्रालय ने 14 अगस्त 2025 को भेजे अपने पत्र में नए नाम की वर्तनी देवनागरी और रोमन लिपि में तय करने की अनुशंसा की थी। इसी के आधार पर गृह मंत्रालय ने आगे की प्रक्रिया को मंजूरी दी।
बीजेपी का राजनीतिक संदेश
नाम बदलने के इस फैसले के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी इस कदम के ज़रिए 2027 के चुनावों में बड़ा संदेश देना चाहती है। पार्टी ने पहले से ही सपा के ‘PDA फार्मूले’ का तोड़ तैयार करने की रणनीति बनाई है और जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी करना उसी प्लान का हिस्सा माना जा रहा है।
जितिन प्रसाद का आभार
गृह मंत्रालय के इस निर्णय के बाद केंद्रीय मंत्री और पीलीभीत से सांसद जितिन प्रसाद ने सोशल मीडिया पर धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि यह फैसला पूरे सनातन समाज के लिए गर्व का क्षण है। प्रसाद ने गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया और कहा कि भगवान परशुराम की कृपा से ही यह ऐतिहासिक निर्णय संभव हो पाया है।
समाज में मिली प्रतिक्रिया
इस बदलाव को लेकर क्षेत्र में मिलेजुले सुर सुनाई दे रहे हैं। समर्थक इसे अपनी आस्था और पहचान से जुड़ा कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित बताते हैं। लेकिन फिलहाल यह साफ है कि सरकार इस प्रक्रिया को पूरी गंभीरता से आगे बढ़ा रही है।
जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी करना सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अहम कदम है। आने वाले दिनों में जब यह अधिसूचना जारी होगी, तब यह बदलाव आधिकारिक रूप से लागू हो जाएगा।