Jalaun Inspector Death Case: जालौन में इंस्पेक्टर अरुण कुमार राय की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। पुलिस ने महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उरई जेल भेज दिया गया। कोर्ट ले जाते समय मीनाक्षी ट्रैक सूट में थी और चेहरे पर रुमाल बांध रखा था।
पुलिस ने उसे देर शाम जेल में दाखिल भी करा दिया। बताया जा रहा है कि पुलिस शनिवार से ही मीनाक्षी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही थी। कई सवाल ऐसे थे जिनका वह स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई। रविवार दोपहर उसे पुलिस मेडिकल कराने के लिए कुठौंद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी लेकर गई थी। पुलिस जांच में सामने आया कि जिस वक्त इंस्पेक्टर राय को गोली लगी, उस समय मीनाक्षी उनके कमरे में मौजूद थी। इसी आधार पर इंस्पेक्टर की पत्नी माया राय ने मीनाक्षी पर हत्या या हत्या करवाने का केस दर्ज कराया।
हालांकि, मौत की असली वजह अभी तय नहीं हो सकी है। शुरुआत में मामला ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर आत्महत्या का बताया जा रहा था। इंस्पेक्टर का शव मच्छरदानी के अंदर मिला था और 9 एमएम की सर्विस पिस्टल से चली गोली कमरे की दीवार में धंसी मिली। शुरुआती जांच के अनुसार, मीनाक्षी को कमरे में देखते ही इंस्पेक्टर घबरा गए और गुस्से में खुद को गोली मार ली। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि मीनाक्षी सिर्फ 3 मिनट थाने में रही और तुरंत वहां से निकल गई।
सूत्रों का दावा है कि इंस्पेक्टर राय और मीनाक्षी पहली बार जुलाई 2024 में एक-दूसरे के संपर्क में आए थे। दोनों तब जालौन के कोंच थाने में तैनात थे और धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ीं। चर्चा ये भी है कि मीनाक्षी के पास इंस्पेक्टर के निजी वीडियो थे, जिनके आधार पर वह पैसे मांग रही थी। हाल ही में उसने 3 लाख का हार भी लिया था, जिसे लेकर माना जा रहा है कि वह इंस्पेक्टर ने ही दिलवाया था।
इंस्पेक्टर की पत्नी माया का आरोप है कि उनके पति आत्महत्या नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि घटना के कुछ मिनट पहले ही उनकी पति से बात हुई थी और वह बिल्कुल सामान्य थे। माया राय ने सरकार और प्रशासन से न्याय की मांग की है।
पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि मीनाक्षी के पास 3 मोबाइल और 4 सिम कार्ड मिले हैं। वहीं, इंस्पेक्टर के पास भी 3 सिम थे। सभी का डेटा और कॉल रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। पुलिस ने साफ किया है कि इस घटना में कोई तीसरा व्यक्ति शामिल नहीं है।
इंस्पेक्टर अरुण राय मूल रूप से संत कबीरनगर के रहने वाले थे। 1998 में भर्ती हुए और अपनी ईमानदारी और सख्त कार्यशैली के लिए जाने जाते थे। रविवार को उनका अंतिम संस्कार गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया। परिवार का कहना है कि उन्हें सिर्फ न्याय चाहिए।
