झांसी ऑनलाइन डेस्क। Jhansi Medical College Fire Incident उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित लक्ष्मी आई मेडिकल कॉलेज में देररात दिलदहला देने वाला हादसा हो गया। यहां के चाइल्ड वार्ड में देर रात आग लगई और 10 बच्चों की जलकर दर्दनाक मौत हो गई है। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस की मदद से 16 बच्चों को बाहर निकाला, जो आग में बुरी तरह से झुलस गए। पहले कहा जा रहा था कि शॉर्ट सर्किट होने की वजह से आग लगी थी, लेकिन अब अलग खबर सामने आ रही है। अग्निकांड के चश्मदीद भगवान दास के मुताबिक, बच्चों के वार्ड में एक ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को लगाने के लिए नर्स ने माचिस की तीली जलाई। जैसे ही उसकी तीली जली पूरे वार्ड में आग लग गई और 10 शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, देररात झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भीषण आग लग गई। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। जबकि 16 बच्चे आग की चपेट में आने से झुलस गए, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। मेडिकल कॉलेज की तरफ अग्निकांड को लेकर बताया गया, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लगी, फिर धमाका हो गया। इसके बाद पूरे वार्ड में आग फैल गई। वार्ड ब्वॉय ने आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सट्विंगशर) चलाया। मगर वह 4 साल पहले ही एक्सपायर हो चुका था, इसलिए काम नहीं किया।
बुलानी पड़ी सेना
मेडिकल कॉलेज में आग लगने की सुचना पर पुलिस के साथ ही फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंचीं। खिड़की तोड़कर पानी की बौछारें मारीं गई। मौके पर जिले के डीएम और एसपी पहुंचे। ाषण आग को देखते हुए सेना को बुलाया गया। करीब 2 घंटे में आग पर काबू पाया गया। इधर, हादसे के बाद सीएम योगी ने हाईलेवल मीटिंग की। उन्होंने कमिश्नर और डीआईजी को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा हादसे की पहली जांच स्वास्थ्य विभाग, दूसरी पुलिस और तीसरी जांच मजिस्ट्रेट से जांच कराई जाएगी। अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।
अग्निकांड को लेकर भगवान दास का खुलासा
हमीरपुर के रहने वाले भगवान दास उन लोगों में से हैं जिनके बेटे का बेटा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती था। जब आग लगी तो भगवान दास वार्ड में ही मौजूद थे। शुरुआती जांच के आधार पर भले ही शॉर्ट सर्किट को वजह बताया जा रहा हो लेकिन भगवान दास इस घटना के अकेले चश्मदीद हैं और वो इसके पीछे की असली वजह बताई। भगवान दास के मुताबिक, बच्चों के वार्ड में एक ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को लगाने के लिए नर्स ने माचिस की तीली जलाई। जैसे ही उसकी तीली जली पूरे वार्ड में आग लग गई। आग लगते ही भगवान दास ने अपने गले में पड़े कपड़े से 3 से 4 बच्चों को लपेटकर बचाया, बाकी लोगों की मदद से कुछ और बच्चों को भी बचाया गया।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज प्रदेश के पुराने चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में शुमार है और मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सबसे बड़ा उपचार केन्द्र भी कहा जाता है। इसके बावजूद यहां व्यवस्थाएं पटरी से उतरी रहती हैं। एनआईसीयू वॉर्ड में लगी आग ने इन व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। बताया जा रहा है कि जिस समय आग लगी एनआईसीयू वॉर्ड में 50 से अधिक नवजात बच्चे भर्ती थे। आग लगते ही वॉर्ड की विद्युतापूर्ति बाधित हो गयी और चारों ओर धुंआ ही धुंआ फैल गया।
नहीं बजा फायर अलार्म
हैरानी की बात ये रही कि आग लगने के बाद ना फायर अलार्म बजा ना ही वार्ड में रखे सिलेंडर किसी काम के थे। सिलेंडर पर 2019 की फिलिंग डेट है और एक्सपायरी 2020 की है। यानि फायर एक्सटिंग्विशर को एक्सपायर हुए साल साल हो चुके थे और खाली दिखाने के लिए ये सिलेंडर यहां रखे हुए थे। सेफ्टी अलार्म नहीं बजने से सुरक्षा कर्मियों और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हादसे की जानकारी समय से नहीं लग सकी। मामले पर डीएम ने बताया कि अग्निकांड में 10 बच्चों की मौत हुई है। आग पर काबू पा लिया गया है। पूरे मामले की जांच की जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पीएम-सीएम ने व्यक्त किया शोक
प्रधानमंत्री मोदी ने झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है और घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मामले की विस्तृत रिपोर्ट शनिवार शाम तक तलब की है। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने का आदेश दिया है।