लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में पुलिस और एसओजी टीम ने पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई हत्याकांड में शामिल दो शूटरों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। दोनों सगे भाई है और पुलिस ने शूटरों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित किया हुआ था। मारे गए मारे गए शूटरों की पहचान राजू तिवारी उर्फ रिजवान खान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान के रूप में हुई। . पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इनके पिता हिंदू थे और मां मुस्लिम है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों के पास दो-दो आधार कार्ड भी मिले हैं, जिनमें एक हिंदू नाम से, दूसरा मुस्लिम पहचान के साथ। एसओजी की टीम दोनों की तलाश कईदिनों से कर रही थी। एसओजी की टीम को कांवड़ियों का वेश रखना पड़ा। तब जाकर दोनों कसाईयों का गेम ओवर करने में कामयाबी मिली।
सीतापुर एनकाउंटर में मारे गए शूटर भाई के पिता कृष्ण गोपाल तिवारी एक हिंदू ब्राह्मण थे, जबकि उनकी मां नाजिमा एक मुस्लिम महिला हैं। बताया जाता है कि जब गोपाल ने नाजिमा से विवाह किया तो उन्होंने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम करीम खान रख लिया था। बेटे जब बड़े हुए तो उन्होंने समाज में दोनों पहचान को साधने का अलग तरीका निकाला एक हिंदू नाम और एक मुस्लिम नाम। राजू तिवारी ने ’रिजवान खान’ और संजय तिवारी ने ’अकील खान’ नाम अपनाया। यही नहीं, दोनों के पास इन नामों से आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र भी बने हुए थे। यानी जरूरत के हिसाब से नाम और पहचान बदलकर ये अपने मंसूबों को अंजाम देते थे। बताया जा रहा है कि दोनों ने अपराध की शिक्षा अपने घर से ही ली थी। पिता मास्टर बनकर दोनों को जरायम की एबीसीडी सिखाई तो मां भी ढालकर उन्हें पुलिस से बचाती रही।
दरअसल, मे पूरी घटना सीतापुर में 8 मार्च 2025 की है। पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई, जो जिले में एक तेजतर्रार और बेबाक पत्रकार माने जाते थे, को बाइक सवार दो बदमाशों ने दिनदहाड़े गोली मार दी थी। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के बाद जिला प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। खुद मुख्यमंत्री कार्यालय से रिपोर्ट तलब की गई और एसपी चक्रेश मिश्र के निर्देश पर 12 विशेष टीमें जांच में लगाई गईं। इन टीमों ने 34 दिन में 1000 से अधिक मोबाइल नंबर ट्रेस किए, 125 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ की और 250 सीसीटीवी फुटेज खंगाले। जांच में खुलासा हुआ कि पत्रकार की हत्या की साजिश कारेदेव बाबा मंदिर के स्वयंभू पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर ने रची थी। पुलिस ने बाबा और उसके एक सहयोगी को अरेस्ट कर लिया। पूछताछ में बाबा ने दोनों शूटरों के नाम बताए। इसके बाद पुलिस और एसओजी टीम ने दोनों शूटरों की गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन शुरू किया।
करीब पांच माह की मेहनत के बाद एसओजी व एसटीएफ शूटरों का मूवमेंट ट्रैक कर सके। एसओजी टीम सावन में कांवड़ियों के वेश में घूमी। इसी टीम ने बृहस्पतिवार भोर करीब 4ः30 बजे दोनों के हरदोई से पिसावां की ओर मूवमेंट की जानकारी दी। पुलिस टीमों ने घेराबंदी की और मुठभेड़ में शूटरों को ढेर कर दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार 8 मार्च को वारदात के बाद से ही एसओजी की स्वॉट, सर्विलांस और नारकोटिक्स टीमें शूटरों की तलाश में जुट गईं। शूटरों के नोएडा के एक इलाके में होने की जानकारी मिली थी। राघवेंद्र की हत्या में आठ अंक का अजब संयोग है। आठ मार्च को उनकी हत्या हुई। राघवेंद्र की हत्या से लेकर शूटरों के एनकाउंटर तक आठ ही गोलियों का इस्तेमाल हुआ। चार गोलियां राघवेंद्र को लगीं और चार ही गोलियों में दोनों शूटर भी ढेर हो गए। राघवेंद्र की बाइक का नंबर भी 8005 है। आठवें महीने में पुलिस ने आरोपियों को मार गिराया। आठ अगस्त को ही शूटरों का अंतिम संस्कार भी होगा।
अटवा निवासी 95 वर्षीय रामप्रसाद शुक्ला ने बताया कि शूटरों के पिता कृष्ण गोपाल तिवारी को नाजिमा से प्रेम हो गया था। नाजिमा के प्यार में पड़ कर उन्होंने अपना नाम करीम खान रख लिया था। कृष्ण गोपाल ने नाजिमा से विवाह कर लिया। दोनों से तीन पुत्र संजय, राजू व राहुल हुए। पुत्री की मौत हो गई थी। शुक्ला ने बताया कि दोनों सगे भाई बपचन से ही अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे। उन्हें घर का भी सपोर्ट मिला। वहीं पूरे मामले पर एसपी सीतापुर अंकुर अग्रवाल का कहना है कि एसओजी व एसटीएफ की संयुक्त टीम को अपर पुलिस महानिदेशक लखनऊ जोन की ओर से 50 हजार रुपये, आईजी रेंज की ओर से 25 हजार रुपये व मेरी ओर से 25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सभी को सम्मानित किया जाएगा। राघवेंद्र हत्याकांड में यह दोनों शूटर पुलिस के लिए चुनौती थे। यह पुलिस टीम के लिए बड़ी कामयाबी है।