Kakori school pairing: लखनऊ के काकोरी क्षेत्र में बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही एक शर्मनाक स्थिति में सामने आई, जब स्कूलों की गलत पेयरिंग की हकीकत जांचने निकले जिला पंचायती राज अधिकारी (DPRO) खुद रास्ते में थककर आम के पेड़ के नीचे बैठ गए। प्राथमिक विद्यालय चतुरीखेड़ा को सिरगामऊ स्कूल से जोड़ने का फैसला न केवल अव्यवहारिक था, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और सुविधा को भी नजरअंदाज करता था। 1.8 किलोमीटर की दूरी, खराब रास्ता, जंगल, शराब ठेका और कुत्तों का खतरा – ये सब मिलकर ग्रामीणों के लिए एक असंभव चुनौती बन गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएसए ने चतुरीखेड़ा स्कूल की पेयरिंग खत्म कर पुराने भवन में ही संचालन का आदेश दे दिया है।
पेयरिंग से मचा हड़कंप, डीपीआरओ भी बोले– “अब नहीं चलेगा ये फैसला”
Kakori के चतुरीखेड़ा गांव में शिक्षा विभाग का पेयरिंग प्लान उस समय फेल हो गया, जब डीपीआरओ जितेंद्र कुमार गोंड खुद स्थिति का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से बच्चों को सिरगामऊ भेजने की अपील की, लेकिन जब गांववालों ने उनसे रास्ता खुद चलकर देखने की बात कही, तो वे तैयार हो गए। जैसे ही वे सिरगामऊ के रास्ते पर चले, जंगल, कचरे के गड्ढे और शराब ठेके जैसे खतरों से होकर गुजरे। आधे रास्ते में पहुंचते ही वे थककर आम के पेड़ के नीचे बैठ गए और फिर गाड़ी की ओर लौट गए। इसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द समाधान निकाला जाएगा।
रास्ता ही बना बच्चों की शिक्षा में बाधा
चतुरीखेड़ा से सिरगामऊ तक का रास्ता सिर्फ लंबा ही नहीं, बल्कि बेहद जोखिम भरा भी है। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जंगल पार करना होता है, जहां आवारा कुत्तों और शराबियों का डर रहता है। रास्ते में ही मृत पशुओं को डंप करने का गड्ढा भी बना हुआ है, जिससे बदबू और गंदगी फैली रहती है। गांववालों का कहना है कि वे अपने बच्चों को इस रास्ते से नहीं भेज सकते। उन्होंने खुद मिलकर पुराने स्कूल भवन में पढ़ाई शुरू की थी, जिसे देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए।
शिक्षामित्र के सहारे चल रहा स्कूल, फिर भी बच्चों की उपस्थिति बनी हुई है
चतुरीखेड़ा के प्राथमिक विद्यालय में कुल 48 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां तैनात हेड मास्टर को समायोजन में सरोजनीनगर भेज दिया गया और सहायक अध्यापिका एआरपी बन गईं। अब स्कूल केवल एक शिक्षामित्र के भरोसे चल रहा है। बावजूद इसके, ग्रामीणों की मेहनत से बुधवार और गुरुवार को क्रमशः 47 बच्चे स्कूल पहुंचे। यह उपस्थिति दर्शाती है कि अगर सुविधा हो, तो ग्रामीण खुद भी बच्चों की शिक्षा के लिए तैयार हैं। बीएसए रामप्रवेश ने इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए स्कूल की पेयरिंग खत्म करने और स्थानीय स्तर पर संचालन की अनुमति दे दी है।