सिस्टम से हार गया ‘आईपीएल’ का स्टार प्लेयर, अब सियासी पिच पर उतरेगा ये तेज़ गेंदबाज़

कामरान का क्रिकेट करिअर उतार-चढ़ाव भरा रहा और अब वापसी होना मुश्किल है। लिहाज़ा गेंदबाज़ी में अच्छे-अच्छे बल्लेबाज़ों को परेशान करने का दम रखने वाले कामरान ने अब सियासत के मैदान पर उतरने का फैसला किया है।

Kamran Khan

(मोहसिन खान) नोएडा डेस्क। आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि आईपीएल का स्टार प्लेयर गुमनामी के अंधेरें में चला गया। टीम इंडिया का दरवाज़ा खटखटाने से पहले ही ये खिलाड़ी सिस्टम का शिकार हो गया। ऑस्ट्रेलियाई फिरकी गेंदबाज़ शेन वार्न की आंखों का तारा, खुद शेन वार्न जिसको इंडिया का डायमंड कहते थे। आखिरकार उसके साथ ऐसा क्या हो गया कि वो चमकने से पहले ही फीका पड़ गया। वो खिलाड़ी कहता है कि शेन वार्न को मुझ पर इतना भरोसा था कि मुझे इंडिया का डायमंड और टॉरनेडो तक कहते थे लेकिन अफसोस अपने ही देश में कहीं सपोर्ट नहीं मिला।

हां मुझे इतना भी भरोसा है कि अगर उस वक्त सचिन पाजी, गांगुली दादा, धोनी और सहवाग का सहयोग मिल जाता था तो मैं गारंटी से कहता हूं कि टीम इंडिया का सबसे तेज़ गेंदबाज़ होता। ये दर्द उस तेज़ गेंदबाज़ के है जिसकी बॉलिंग में 140 किमी प्रति घंटा की रफ्तार थी। ये खिलाड़ी यूपी के मउ ज़िले का रहने वाला (Kamran Khan) कामरान खान है। 2009 से 2012 तक आईपीएल खेला लेकिन उसके बाद गुमनामी के अंधेरें में चला गया और अब कामरान गांव के टूर्नामेंट खेलते है।

सियासी पिच पर करेंगे पारी की शुरूआत

कामरान (Kamran Khan) का क्रिकेट करिअर उतार-चढ़ाव भरा रहा और अब वापसी होना मुश्किल है। लिहाज़ा गेंदबाज़ी में अच्छे-अच्छे बल्लेबाज़ों को परेशान करने का दम रखने वाले कामरान ने अब सियासत के मैदान पर उतरने का फैसला किया है और वो 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे। हालाकि वो अपनी सियासी पारी निर्दलीय के रूप में शुरू करेंगे। कामरान का मानना है कि घोसी क्षेत्र में पहचान है, हर जाति-मजहब के लोग जानते हैं, हो सकता है कि 2027 में ही चुनाव में उतर जाऊं। बाकी क्रिकेट से हमेशा जुड़ा रहूंगा। यहीं अपने गांव में एकेडमी बनाऊंगा और बच्चों को ट्रेनिंग दूंगा, क्योंकि यहां क्रिकेट में बहुत सारा भविष्य है।

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सरफराज के पिता ने दिलाई पहचान

कामरान (Kamran Khan) के क्रिकेट के मैदान पर उतरने की कहानी 10 साल की उम्र में शुरू हुई। कामरान खान का घर राजधानी लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर दूर मऊ जिले के नदवा सराय गांव में है। हमें गांव से करीब 500 मीटर पहले लड़के लेदर बॉल से भरी दोपहरी में क्रिकेट खेलते नजर आए। लड़कों की बल्लेबाजी और गेंदबाजी एकदम प्रोफेशनल क्रिकेटरों जैसी नजर आ रही थी। 10 साल की उम्र में टेनिस बॉल से सीनियर के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया। उस वक्त उनकी मां क्रिकेट के लिए प्रेरित करती थी। अंडर-14 और अंडर-19 के बाद रणजी के लिए कैंप किया। कामरान के साथ ये भी रहा कि उन्होंने हर ट्रायल को पास किया लेकिन सिस्टम से हारे कामरान का कभी सिलेक्शन नहीं हुआ।

आईपीएल का सफर क्रिकेटर सरफराज खान के पिता नौशाद खान की वजह से हुआ, गेंदबाजी से खुश होकर 2009 में डीवाई पाटिल टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला। इसमें रणजी, स्टेट और इंडिया की तरफ से खेल चुके खिलाड़ियों को ही मौका मिलता है। मुंबई पुलिस का स्पेशल कोटा होता है, इसलिए मुझे उनकी तरफ से भेजा गया। कामरान ने 4 ओवर गेंदबाजी की। 13 रन देकर 4 बड़े विकेट हासिल किए। कामरान के इस प्रदर्शन ने सबका ध्यान उनकी तरफ खींचा। उस वक्त राजस्थान रॉयल्स के कोचिंग डायरेक्टर रहे डैरेन बेरी ने कामरान को अपनी टीम से जोड़ लिया। उन्हें एक सीजन के लिए 20 लाख रुपए पर साइन किया गया।

आईपीएल में कामरान ने मचाई धूम, फिर अचानक हो गए गुम

23 अप्रैल को राजस्थान रॉयल्स का मुकाबला कोलकाता नाइट राइडर्स से हुआ। इस मैच में कामरान ने सौरभ गांगुली और क्रिस गेल को आउट किया। आखिरी मैच में 7 रन चाहिए थे, सौरभ गांगुली बैटिंग कर रहे थे। कामरान ने उन्हें आउट किया और मैच बचाया।यहां मैच टाई पर खत्म हुआ तो नतीजे के लिए सुपर ओवर हुआ। कप्तान शेन वार्न ने कामरान पर भरोसा जताते हुए गेंद थमाई। इस ओवर में कुल 15 रन बने थे। बाद में राजस्थान रॉयल्स ने 16 रन बनाकर जीत लिया था। इस पूरे सीजन में कामरान ने 4 मैच खेले और 5 विकेट मिले। शेन वार्न ने जमकर सराहा। भारत का डायमंड और टॉरनेडो कहा। लेकिन अफसोस सिफारिश के दौर में एक होनहार खिलाड़ी सिस्टम से हार गया।

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