कानपुर ऑनलाइन डेस्क। पिछले तीन से चार सालों के दौरान हार्ट रोगियों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ये दिल की बीमारी बच्चों से लेकर युवाओं को अपना शिकार बना रही है। देश के कई बड़े संस्थान हार्ट अटैक के बढ़ रहे मामलों को लेकर रिसर्च भी कर रहे हैं। कानपुर के हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) के एक अध्ययन में इस बीमारी को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है। जिसके तहत मंसूड़ों में दर्द और सूजन य कोई और दिक्कत हो तो तत्काल अलर्ट हो जाएं और डॉक्टर्स को दिखाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से मंसूड़ों की दिक्कत से हार्ट फेल की आशंका बढ़ जाती है। खतरनाक बैक्टीरिया मंसूड़ों से गले के रास्ते से हृदय तक पहुंचने के साथ ही दिल को बीमार कर रहे हैं।
वल्व में चिपक जाते हैं बैक्टीरिया
कानपुर के हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) के विशेषज्ञों ने दिल के मरीजों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी होने पर रिसर्च किया। उनकी जांच में सामने आया है कि मंसूड़ों के कारण हृदय रोगी बढ़े हैं। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि खतरानक बैक्टीरिया मंसूड़ों से गले के रास्ते ह्दय तक पहुंचने से खतरा बढ़ता है। यह बैक्टीरिया दिल की धमनियों में पहुंच कर खुरदुरा पन कर देते हैं। इसके अलावा वाल्व में यह बैक्टीरिया पहुंच कर उससे चिपक जाते हैं। लंबे समय तक अगर ये स्थिति रहे तो हार्ट फेल का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। मंसूडों की दिक्कत होने पर तत्काल डॉक्टर्स को दिखना चाहिए। इसमें किसी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
4, 200 हृदय रोगियों पर अध्ययन
कार्डियोलॉजी में अप्रैल से अक्टूबर तक 4, 200 हृदय रोगियों पर अध्ययन किया गया। इनमें से 1470 यानि 35 फीसदी मरीज ऐसे रहे, जिनके दिल में दिक्कत से पहले मंसूड़ों की परेशानियां रही। सांस लेने में दिक्कत, फूलना, पसीना, थकान और धड़कन में अजीब सी आवाज आने की शिकायत रही। अध्ययन में शमिल मरीजों की आयु 30 से 55 साल के बीच रही। पुरूष महिला की बात करें तो 60 फीसदी पुरूष तथा 40 फीसदी महिलाओं को पहले मंसूड़े फिर बाद में हार्ट संबंधी दिक्कत होने लगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 35 फीसदी हृदय रोग मरीज ऐसे रहे, जिनके मंसूड़ों में लंबे समय से अलग-अगल पीड़ा रही। लगातार अनदेखी और ठीक से इलाज नहीं कराने पर ह्दय रोग की चपेट में आ गए।
40 से 55 साल तक की आयु वाले
जांच के दौरान मंसूड़ों से ग्रसित मरीजों की धड़कन से खर्र-खर्र जैसी आवाज सुनाई दी। वहीं सांस लेने में दिक्कत व सांस फूलने की भी समस्या बढ़ गई। डॉक्टर्स के अनुसार ज्यादातर पुरूष 40 से 55 साल तक की आयु वाले रहे। वरिष्ठ चिकित्सक कॉर्डियोलॉजी डॉक्टर अवधेश कुमार शर्मा ने बताया कि मंसूड़ों से संबंधी दिक्कत लंबे समय से है तो हार्ट की जांच कराना बेहद जरूरी है। खतरनाक बैक्टीरिया मंसूड़ों से गले के रास्ते दिल तक पहुंचते हैं। इस वजह से दिल की धमनियां व वाल्व में खराबी भी आ सकती है। 30 से 35 फीसदी के हार्ट रोगी होने की वजह यही है। ज्यादातर लोग मंसूड़ों से हार्ट रोग होने के बारे में जानते नहीं हैं।
दिल से जुड़ी बीमारियों का कारण
कुछ माह पहले फोरसिथ इंस्टिट्यूट और हारवर्ड यूनिवरिस्टी के वैज्ञानिकों द्वारा कंडक्ट जर्नल ऑफ पीरियोडोंटल में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, पीरियडोंटाइटिस से जूझ रहे लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम ज्यादा होता है। डॉक्टर्स ने मसूड़ों की सूजन और आर्टरियल इनफ्लेमेशन (धमनियों में सूजन) के बीच एक मजबूत कनेक्शन पाया है, जो कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक या दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियों का कारण हो सकता है। इस स्टडी की शुरुआत में 304 वॉलंटियर्स की धमनियों और मसूड़ों का टोमोग्राफी स्कैन किया गया। चार साल बाद फिर से इन लोगों की स्कैनिंग की गई। जिसमें 13 लोगों में दिल से संबंधित बीमारियों का जोखिम ज्यादा देखा गया।
पीरियोडोंटल डिसीज को नहीं करें इग्नोर
शोधकर्ताओं के मतुबिक, यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि पीरियोडोंटल डिसीज से पहले जिन लोगों को हड्डियों से जुड़ी समस्याएं हो रही थीं, उनमें हार्ट डिसीज का खतरा नहीं था। जिन लोगों के मसूड़ों में सूजन देखी गई, केवल उन्हीं में ऐसी दिक्कत पाई गई। शोधकर्ता मानते हैं कि पीरियोडोंटल इन्फ्लेमेशन हड्डियों के माध्यम से संकेत देने वाली कोशिकाओं को एक्टिवेट करती है जिससे धमनियों में इन्फ्लेममेश की समस्या बढ़ जाती है। शोधकर्ता चेतावनी देते हुए कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति दिल से जुड़ी बीमारियों के प्रति संवेदनशील है तो ऐसे लोगों को पीरियोडोंटल डिसीज को इग्नोर नहीं करना चाहिए।