UP News : कासगंज जनपद में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में 10 अप्रैल को हजारा नहर के पास हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने एक बार फिर महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोल कर रख दी है। इसके पहले भी बालिकाओं से दुष्कर्म और महिला अधिवक्ता की हत्या जैसी घटनाएं जनपद की छवि को धूमिल कर चुकी हैं।
आठ मार्च को जहां पूरे देश में महिला दिवस मनाया गया, वहीं कासगंज में महिलाओं की सुरक्षा के दावों का हश्र 10 अप्रैल की घटना ने सबके सामने ला दिया। वादों और संकल्पों के बीच, जमीनी हकीकत बेहद भयावह है। महिलाओं और बच्चियों में भय का माहौल व्याप्त है। जनपद में इससे पहले 1 मार्च को 6 वर्षीय अबोध बालिका से दुष्कर्म, 3 सितंबर 2024 को मोहिनी हत्याकांड, और 14 अप्रैल को 17 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन द्वारा अधिकांश मामलों का खुलासा किया गया और आरोपी जेल भेजे गए, लेकिन पीड़ितों को न्याय मिलने की प्रक्रिया अभी भी लंबित है।
सख़्त सजा रोकेगी ऐसे अपराध
समाजसेवी अब्दुल हफीज गांधी का कहना है कि जब तक अपराधियों को तेज़ और सख़्त सजा नहीं दी जाएगी, तब तक इन घटनाओं पर अंकुश लगाना मुश्किल है। उनका कहना है कि इन सभी मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाकर, अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि समाज में एक कड़ा संदेश जाए।
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नहीं हुआ स्थाई समाधान
हर नई घटना के बाद प्रशासनिक हलचल जरूर होती है, लेकिन स्थायी समाधान अब भी कोसों दूर है। जरूरत है कि केवल घटनाओं के बाद जागने की बजाय पहले से ही सख्त निगरानी और महिला सुरक्षा के मजबूत उपाय किए जाएं। जब तक अपराधियों में कानून का भय नहीं होगा, तब तक बेटियां यूँ ही दरिंदगी का शिकार होती रहेंगी।